नई दिल्ली, एक चंद्र दिवस सूर्य की तुलना में चंद्रमा द्वारा अपनी धुरी पर एक पूर्ण चक्कर लगाने में लगने वाले समय की अवधि है। चंद्रमा का एक दिन पृथ्वी के 29 दिन, 12 घंटे और 44 मिनट के बराबर होता है और यही समय चंद्रमा को पृथ्वी की परिक्रमा करने में लगता है। हालांकि चंद्रमा को पूरी तरह से अपनी मूल स्थिति में वापस आने में केवल 27 दिन और 7 घंटे लगते हैं।
चांद दी सतह पर लैंडर 23 अगस्त हो लैंड हो गया . लैंडरी की चंद्रमा की सतह पर शुरुआत 6 बजकर 4 मिनट पर शुरू हो गयी . वैज्ञानिकों का कहना है कि चांद की सतह पर पहुंचने के बाद ही इस मिशन का असली काम शुरू गया . लैंडर जैसे ही सतह पर उतरेगा, उसमें से रोवर प्रज्ञान बाहर निकलेगा और वो 14 दिनों तक रिसर्च करेगा. लेकिन क्या आप जानते हैं लैंडर विक्रम का कितना वजन है और चांद सिर्फ 14 दिन के ही मिशन पर क्यों निकलेगा?
लैंडर के अंदर ही रोवर (प्रज्ञान) रहेगा. यह प्रति 1 सेंटीमीटर/सेकंड की रफ्तार से लैंडर से बाहर निकलेगा. इसे निकलने में 4 घंटे लगेंगे. बाहर आने के बाद यह चांद की सतह पर 500 मीटर तक चलेगा. यह चंद्रमा पर 1 दिन (पृथ्वी के 14 दिन) काम करेगा. प्रज्ञान रोवर चौकोर साइज (91.7 x 75.0 x 39.7 cm) है, जिसका वजन 26 किलोग्राम है. ये 6 व्हील रॉकर बोगी व्हील ड्राइव असेंबली से लैस है. साथ ही इसमें नेविगेशन कैमरा लगे हैं और 50W वाले सोलर पैनल. ये सीधा लैंडर से Rx/Tx एंटीना के जरिए कनेक्ट करता है.
चांद पर धरती के 14 दिन के बराबर एक ही दिन होता है. ऐसे में साउथ पोल पर लैंड करने के बाद लैंडर और रोवर के पास काम खत्म करने के लिए केवल 14 दिनों का समय होता है. इस दौरान चांद पर धूप रहेगी और दोनों को सोलर एनर्जी मिलती रहेगी. दरअसल 14 दिन बाद साउथ पोल पर अंधेरा हो जाएगा. फिर लैंडर-रोवर दोनों ही काम करने बंद कर देंगे. रोवर प्रज्ञान 26 किलो का है, जो 50W के पावर से चलता है. इस पर दो पोलेड्स भी हैं.
रोवर प्रज्ञान पर दो पोलेड लगे हुए हैं. रोवर चांद की सतह पर खनिज पानी और कई चीज़ों की मौजूदगी का पता लगाएगा. इसके अलावा चांद पर मौजूद चट्टान और मिट्टी का भी रोवल अध्ययन करेगा. रोवर की जो स्पीड होगी वो 1cm प्रतिसेकंड होगी. इसमें 6 पहिए लगे हुए हैं. ये कैमरा से पिक्चर क्लिक करेक विक्रम को सेंड करता रहेगा.
चंद्र दिन बेहद गर्म होते हैं और चंद्र रातें बेहद ठंडी होती हैं, इसकी हम बस कल्पना कर सकते हैं कि चंद्र दिनों के दौरान तापमान 270 डिग्री फारेनहाइट तक पहुंच जाता है और चंद्र रातों के दौरान तापमान शून्य से माइनस 280 डिग्री फारेनहाइट तक गिर जाता है।
चंद्रमा ज्वारीय रूप से पृथ्वी से घिरा हुआ है। इसका मतलब है कि चंद्रमा का एक किनारा हमेशा पृथ्वी की ओर रहता है। दूसरा पक्ष पृथ्वी से दूर हो गया है और यह कभी भी तारा देखने वालों को दिखाई नहीं देता है।
पृथ्वी और चंद्रमा दोनों सूर्य की परिक्रमा करते हैं। दोनों सूर्य के चारों ओर एक पूर्ण चक्कर एक वर्ष (365 दिन) में पूरा करते हैं। हालांकि, पृथ्वी का सूर्य के चारों ओर घूमना सीधा है, जबकि चंद्रमा को पृथ्वी का चक्कर लगाना पड़ता है और जैसे पृथ्वी सूर्य के चारों ओर अपनी कक्षा में घूमती है, चंद्रमा भी पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाते हुए स्वचालित रूप से सूर्य के चारों ओर घूमता है।
चंद्रमा की पृथ्वी की ओर वाली सतह लगभग 14 दिनों तक सूर्य के संपर्क में रहती है और दूसरा भाग अगले 14 दिनों तक सूर्य के संपर्क में रहता है। यही कारण है कि चंद्र दिवस लगभग 14 दिन लंबा होता है और चंद्र रात्रि भी इतनी ही अवधि की होती है।