कैसे होती है हज यात्रा? क्या है इसका महत्व, जो लोग इस यात्रा पर जाते हैं वो वहां जाकर क्या-क्या करते हैं?

नई दिल्ली, हज यात्रा को बेहद पवित्र माना जाता है. इस्लाम को मानने वाले हर शख़्स की ख़्वाहिश होती है कि वो अपनी ज़िंदगी में एक बार ही सही लेकिन हज की यात्रा पर जरूर जाए. सही शब्दों में कहा जाए तो इस्लाम के 5 फर्ज़ हैं और उनमें से एक फर्ज़ हज भी है.

बाकी के चार फर्ज़- कलमा, रोज़ा, नमाज़ और ज़कात हैं. हर मुसलमान कोशिश करता है कि अपनी ज़िंदगी में वो इस्लाम के इन पांचों फर्ज़ को अता कर सके.

कितने दिन की होती है हज यात्रा?

इस्लाम को मानने वाले एक्सपर्ट्स का कहना है कि साल 628 में पहली बार पैग़ंबर मोहम्मद ने अपने 1400 अनुयायियों के साथ एक पवित्र यात्रा शुरू की. इस्लाम को मानने वालों के लिए ये पहली तीर्थयात्रा थी. कहा जाता है कि इसी यात्रा के दौरान पैग़ंबर इब्राहिम की इस्लामिक परंपराओं को फिर से स्थापित किया गया और इसे को बाद में हज कहा जाने लगा. हर साल पूरी दुनिया से इस्लाम को मानने वाले लोग सऊदी अरब के मक्का में हज के लिए पहुंचते हैं. हज की इस पवित्र यात्रा में कुल 5 दिन लगते हैं. ये यात्रा ईद उल अज़हा यानी बकरीद के साथ पूरी मानी जाती है.

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वहीं इस यात्रा के आधिकारिक शुरुआत की बात करें तो यह इस्लामिक महीने ज़िल-हिज की 8 तारीख़ से होती है. इसी तारीख़ को ही हाजी मक्का से क़रीब 12 किलोमीटर दूर मीना शहर जाते हैं और पूरी रात हाजी मीना में गुज़ारते हैं. इसके बाद अगली सुबह हाजी अराफ़ात के मैदान पहुंचते हैं. इस अराफ़ात के मैदान में खड़े हो कर हज यात्री अल्लाह को याद करते हैं और उनसे अपने गुनाहों की माफ़ी मांगते हैं. इसके बाद शाम को हाजी सऊदी अरब के मुज़दलफ़ा शहर जाते हैं और पूरी रात वहीं गुजारते हैं. फिर अगली सुबह यात्री वापस से मीना शहर की ओर लौटते हैं.

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हज पर जाकर मुसलमान क्या करते हैं?

हज यात्रा करने वाले मुसलमानों को पूरा एक प्रोसेस फॉलो करना होता है. बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, सबसे पहले हज यात्री दुनियाभर से सऊदी अरब के जेद्दा शहर में जुटते हैं. इसके बाद वहां से बस के जरिए वो मक्का शहर तक पहुंचते हैं. हालांकि, मक्का से ठीक पहले एक जगह है जहां से हज की आधिकारिक यात्रा शुरू होती है. इस जगह को मीक़ात कहा जाता है. ये जगह मक्का शहर के 8 किलोमीटर के दायरे में है.

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हज पर जाने वाले सभी यात्री मीक़ात में एक खास तरह का कपड़ा पहनते हैं जिसे अहराम कहा जाता है. लेकिन कुछ लोग यात्रा की शुरुआत से ही अहराम पहने रहते हैं. ये एक खास तरह का सफेद कपड़ा होता है जो सिला हुआ नहीं होता.

जबकि उमरा की बात करें तो मक्का पहुंच कर हर मुसलमान को सबसे पहले उमरा ही करना होता है. दरअसल, उमरा इस्लाम में एक धार्मिक प्रक्रिया है. हालांकि, ये सिर्फ हज के महीने में ही नहीं बल्कि साल भर में कभी भी किया जा सकता है. लेकिन ज्यादातर लोग जो हज करने जाते हैं वो उमरा जरूर करते हैं.

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