हिन्दुतानी सिरिशा का बचपन में देखा अंतरिक्ष यात्री बनने का सपना अब होगा पूरा

नई दिल्ली, कल्पना चावला और सुनीता विलियम्स के बाद अब एक और भारतवंशी बेटी अंतरिक्ष की सैर करने वाली है। इनका नाम है सिरिशा बांदला। वे रिचर्ड ब्रैनसन की स्पेस कंपनी वर्जिन गैलेक्टिक के अंतरिक्ष यान वर्जिन ऑर्बिट में बैठकर 11 जुलाई को अंतरिक्ष की सैर पर जाएंगी। रिचर्ड ब्रैनसन ने उनके समेत छह लोगों की अंतरिक्ष यात्रा का एलान किया था। इस टीम में सिरिशा शामिल हैं।

ब्रैनसन की अंतरिक्ष यात्रा पर जा रही टीम में दो महिलाएं शामिल हैं। दूसरी महिला का नाम बेश मोसिस है। सिरिशा वर्जिन गैलेक्टिक कंपनी के गवर्नमेंट अफेयर्स एंड रिसर्च ऑपरेशंस की उपाध्यक्ष भी हैं। यह पद उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत से सिर्फ छह सालों में हासिल किया है।

उनके अंतरिक्ष में जाने की खबर सामने आते ही सोशल मीडिया पर उन्हें बधाइयां देने वालों की भीड़ लग गई है।

आंध्रप्रदेश के गुंटूर की रहने वाली सिरिशा ने पर्ड्यू विश्वविद्यालय से एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में स्नातक किया है और उसके बाद जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी से एमबीए की डिग्री ली। वे फिलहाल वर्जिन ऑर्बिट के वॉशिंगटन ऑपरेशंस को भी संभाल रही हैं। अपने अंतरिक्ष उड़ान के समय सिरिशा बांदला मेक्सिको से विंग्ड रॉकेट शिप की उड़ान का हिस्सा रहेंगी। इस समय वे ह्यूमन टेंडेड रिसर्च एक्सपीरिएंस की प्रभारी भी रहेंगी।

सिरिशा बांदला अपनी अंतरिक्ष यात्रा के दौरान अंतरिक्षयात्रियों पर होने वाले असर का अध्ययन भी करेंगी। चूंकि वे टेक्सास के ह्यूस्टन में पली-बढ़ी हैं, इसलिए उन्होंने रॉकेट्स और अंतरिक्ष यानों को आते-जाते नजदीक से देखा है। इसका असर यह हुआ कि वे तभी से अपने मन में अंतरिक्ष यात्रा का सपना पाल बैठी थीं। हालांकि कमजोर दृष्टि के कारण वह वायुसेना में पायलट नहीं बन सकीं।

कल्पना चावला के बाद 34 साल की सिरिशा भारत में जन्मीं ऐसी दूसरी महिला होंगी, जो अंतरिक्ष का सफर तय करेंगी। विश्व में अंतरिक्ष यात्रा करने वाली वे चौथी भारतीय होंगी। उन्होंने एक वीडियो ट्वीट करते हुए कहा है, ‘मुझे यूनिटी-22 क्रू और उस कंपनी का हिस्सा होने पर सम्मानित महसूस हो रहा है, जिसका मिशन सभी के लिए अंतरिक्ष को सुगम बनाना है।’

सिरिशा बांदला का जन्म भारत के आंध्र प्रदेश में गुंटूर जिले में हुआ था। उनके दादा बांदला रगहिया एक कृषि विज्ञानी हैं। उन्होंने अपनी पोती की इस उपलब्धि पर कहा है, ‘मैंने हमेशा उसमें कुछ बड़ा हासिल करने का उत्साह देखा है और आखिरकार वो अपना सपना पूरा करने जा रही है। मुझे विश्वास है कि वह इस मिशन में सफलता हासिल करेगी और पूरे देश को गर्व महसूस कराएगी।’ सिरिशा के पिता डॉक्टर मुरलीधर एक वैज्ञानिक हैं और अमेरिकी सरकार में वरिष्ठ कार्यकारी सेवा के सदस्य हैं।

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