नई दिल्ली, सरकार संसद के 29 नवंबर से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र में क्रिप्टो करेंसी पर विधेयक ला सकती है. सूत्रों ने सोमवार को यह जानकारी दी. क्रिप्टो करेंसी को लेकर लगातार चिंता जताई जा रही है।
इसका इस्तेमाल निवेशकों को भ्रामक दावों के साथ आकर्षित करने और आतंक के वित्तपोषण के लिए किए जाने की आशंका है.
अभी देश में क्रिप्टो करेंसी को लेकर कोई विशेष नियमन नहीं हैं. न ही देश में इस पर प्रतिबंध ही लगा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को क्रिप्टो करेंसी पर वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की थी. इससे संकेत मिलता है कि सरकार इस मुद्दे से निपटने को सख्त नियामकीय कदम उठा सकती है.
सूत्रों ने बताया कि प्रस्तावित विधेयक निवेशक संरक्षण पर केंद्रित होगा क्योंकि क्रिप्टो करेंसी जटिल संपत्ति वर्ग में आती है. केंद्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी के बाद सरकार का इस विधेयक को शीतकालीन सत्र के पहले सप्ताह में पेश करने का इरादा है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अगस्त में कहा था कि उन्हें क्रिप्टो करेंसी विधेयक पर मंत्रिमंडल की मंजूरी का इंतजार है.
सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक दोनों हाल के महीनों में क्रिप्टो करेंसी पर चिंता जता चुके हैं. संसद का शीतकालीन सत्र 29 नवंबर को शुरू होकर 23 दिसंबर को संपन्न होगा.
क्रिप्टोकरेंसी को करेंसी का दर्जा नहीं देगी सरकार
वहीं इससे पहले कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से बताया जा रहा था कि सरकार क्रिप्टोकरेंसी को करेंसी का दर्जा नहीं देगी बल्कि इसे केवल निवेश का साधन माना जाएगा. सूत्र के मुताबिक, क्रिप्टोकरेंसी का प्रमुख मसला टैक्स है. क्रिप्टो से अगर कुछ कमाई होती है तो मौजूदा नियम के मुताबिक यह कैपिटल गेन्स में आएगा. वहीं क्रिप्टोकरेंसी के साथ कोई सर्विस जुड़ती है तो उस पर जीएसटी लगेगा.
इसका मतलब ये हुआ कि क्रिप्टो से जुड़े कानून में टैक्स को शामिल किया जा सकता है. इसके बाद फाइनेंस बिल में इस पर डायरेक्ट टैक्स का प्रावधान रखा जा सकता है. क्रिप्टोकरेंसी की सर्विस पर कितना टैक्स लगेगा, इसका फैसला जीएसटी काउंसिल लेगी।