नई दिल्ली, एंप्लॉयी प्रोविडेंट फंड ऑर्गनाइजेशन (EPFO) ने चालू वित्त वर्ष के लिए इंट्रेस्ट रेट घटाकर 8.1 फीसदी कर दिया है. ईपीएफ की वेबसाइट पर उपलब्ध डेटा के मुताबिक यह पिछले चार दशक का न्यूनतम इंट्रेस्ट रेट है. वित्त वर्ष 2020-21 के लिए प्रोविडेंट फंड पर मिलने वाला इंट्रेस्ट रेट (Provident Fund interest rates) 8.5 फीसदी था. ईपीएफओ बोर्ड के फैसले पर वित्त मंत्रालय की मुहर लगाई जाएगी जिसके बाद इसे अमल में लाया जाएगा. पिछले दो सालों से इसमें किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया था. हालांकि, चालू वित्त वर्ष में इसें 40 बेसिस प्वाइंट्स से घटा दिया गया है. ईपीएफओ के फैसले का असर 7 करोड़ सब्सक्राइबर्स पर होगा।
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इंट्रेस्ट रेट को लेकर गुवाहाटी में ईपीएफओ सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज की दो दिनों से बैठक जारी थी. इसी बैठक में यह फैसला लिया गया है. मौजूदा बाजार की स्थिति और रूस-यूक्रेन क्राइसिस को देखते हुए यह माना जा रहा था कि इंट्रेस्ट रेट में कटौती की जा सकती है. इस बैठक में पीएफ के अलग-अलग इन्वेस्टमेंट पर किस तरह का रिटर्न मिला है, उस बात पर भी समीक्षा की गई. सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, मौजूदा बाजार की स्थिति और रूस-यूक्रेन क्राइसिस को देखते हुए सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज इंट्रेस्ट रेट (PF interest rates) में कटौती करने का फैसला किया है।
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यह भी माना जा रहा है कि वित्त मंत्रालय के कहने पर पीएफ बोर्ड ने इंट्रेस्ट रेट में कटौती का फैसला लिया है. बोर्ड की बैठक में इंट्रेस्ट रेट में कटौती का जो फैसला लिया गया है उसे अब मंजूरी के लिए वित्त मंत्रालय के पास भेजा जाएगा।
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पिछले दो वित्त वर्षों से इंट्रेस्ट रेट में किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया है. पहली बार वित्त वर्ष 2019-20 में इंट्रेस्ट रेट घटाकर 8.5 फीसदी किया गया. वित्त वर्ष 2020-21 में भी इसे 8.5 फीसदी रखा गया. वर्तमान में ईपीएफओ से करीब 7 करोड़ सब्सक्राइबर्स से जुड़े हुए हैं।
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मोदी सरकार जब सत्ता में आई थी तब इंट्रेस्ट रेट 8.75 फीसदी थी. वित्त वर्ष 2014-15 में इंट्रेस्ट रेट 8.75 फीसदी, वित्त वर्ष 2015-16 में इंट्रेस्ट रेट 8.80 फीसदी, वित्त वर्ष 2016-17 में इंट्रेस्ट रेट 8.65 फीसदी, वित्त वर्ष 2017-18 में इंट्रेस्ट रेट 8.55 फीसदी, वित्त वर्ष 2018-19 में इंट्रेस्ट रेट 8.65 फीसदी और वित्त वर्ष 2019-20 से इंट्रेस्ट रेट 8.5 फीसदी पर बरकार है।
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