जाली करेंसी बनाकर बाजार में चलाने वाले गैंग का पर्दाफाश, 6.59 लाख रुपए की जाली करेंसी, प्रिंटर, स्कैनर, कागज के बंडल व अन्य उपकरण बरामद

नई दिल्ली, स्वाट टीम ने नारकॉटिक्स सेल के साथ मिलकर जाली करेंसी बनाकर बाजार में चलाने वाले गैंग का पर्दाफाश किया है। पुलिस ने गैंग के मास्टरमाइंड समेत सात लोगों को गिरफ्तार किया है।

जिनके कब्जे से 6.59 लाख रुपए की जाली करेंसी, प्रिंटर, स्कैनर, कागज के बंडल व अन्य उपकरण बरामद किए हैं। बरामद करेंसी में 2000 से लेकर 100 रुपए तक के जाली नोट शामिल हैं। पुलिस का दावा है कि गैंग के मास्टरमाइंड ने यूट्यूब से जाली नोट बनाने का तरीका सीखा और फिर साथियों के साथ मिलकर इस धंधे को शुरू कर दिया। उन्होंने अब तक करीब 17 लाख रुपए की जाली करेंसी बनाने की बात कबूली है। पुलिस का कहना है कि आरोपियों के संबंध में देश की अन्य एजेंसियों को भी सूचना दे दी गई है। जरुरत पडऩे पर इन्हें पुलिस कस्टडी रिमांड (पीसीआर) पर लेकर पूछताछ की जाएगी।

एएसपी आकाश पटेल ने बताया कि मुखबिर द्वारा जिले की स्वाट टीम को इस्लामनगर स्थित यूनुस के मकान में भारतीय नोटों की जाली करेंसी बनाए जाने के बारे में सूचना दी गई थी। सूचना के आधार पर पुलिस ने बताए गए मकान में छापेमारी की तो वहां से 6.59 लाख रुपए की जाली करेंसी और करेंसी बनाने के उपकरण आदि बरामद हुए। मौके से पुलिस ने सात लोगों को गिरफ्तार किया। जिनमें जाली नोट बनाने का मास्टरमाइंड आजाद निवासी चमन कॉलोनी, कालका गढ़ी निवासी अमन, लालकुआं निवासी आलम और कैला भट्टा निवासी रहबर व सोनू उर्फ गंजा और इस्लामनगर निवासी मोहम्मद यूनुस शामिल हैं। एएसपी ने बताया कि आजाद, सोनू उर्फ गंजा, यूनुस जाली करेंसी छापने का काम करते थे। अन्य आरोपी 20 प्रतिशत के कमीशन पर जाली नोटों को बाजार में चलाने का काम कर रहे थे।

एएसपी आकाश पटेल की मानें तो गैंग के मास्टरमाइंड आजाद ने पूछताछ में बताया कि कुछ माह पूर्व उसने पेट्रोल पंप पर एक व्यक्ति से कुछ नोटों के खुले रुपए कराए थे। खुले रुपयों में उस व्यक्ति ने उसे कुछ जाली नोट भी दे दिए थे, लेकिन यह जाली नोट बाजार में चल गए। आजाद ने बताया कि जाली नोटों के बाजार में चल जाने के बाद उसे नोट बनाने का आइडिया सूझा तो उसने प्रयास शुरू कर दिए। मई 2021 में उसने यूट्यूब पर जाली नोट बनाने का तरीका खोजा। यूट्यूब पर वीडियो देख.देख कर वह जाली नोट बनाना सीख गया और करीब चार महीने में वह अपने काम का एक्सपर्ट बन गया। इसके बाद आजाद अपने साथियों के साथ मिलकर इस धंधे को करने लगा।

पुलिस का कहना है कि असल पढ़ाई में फिसड्डी रहने वाले आरोपी जालसाजी के मामले में अव्वल निकले। पूरे मामले का मास्टरमाइंड आजाद महज 8वीं पास है। जबकि उनके अन्य साथी भी 8वीं और 5वीं कक्षा तक ही पढ़े हैं। कम पढ़े लिखे होने के बावजूद आरोपी जाली नोटों को बनाने से लेकर उन्हें बाजार में चलाने तक का काम बड़ी सफाई से कर रहे थे। पुलिस का कहना है कि आरोपियों से बरामद जाली करेंसी के नोट ऐसे हैं जिन्हें एक नजर में भांपना किसी भी व्यक्ति के लिए काफी मुश्किल काम हो सकता है।

एएसपी आकाश पटेल ने बताया कि आरोपी असली 1 हजार रुपए के बदले में जाली करेंसी के तीन हजार रुपए देते थे। आरोपियों के ठिकाने पर छापेमारी से पूर्व पुलिस टीम के सदस्य भी उनसे डेढ़ लाख रुपए के बदले में जाली करेंसी के नोट लेने के लिए पहुंचे थे। मुखबिर की सूचना पुख्ता पाई जाने के बाद पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। एएसपी ने बताया कि जाली करेंसी चलाने के लिए आरोपी बाजारों के छोटे दुकानदारों से संपर्क करते थे। पैठ बाजार में ठेली-पटरी वाले दुकानदार इनकी पहली पसंद थी। पूछताछ में आरोपियों ने अब तक करीब 12 लाख रुपए बाजार में खपा देने की बात कबूली है।

स्वाट टीम प्रभारी अब्दुर रहमान सिद्दीकी ने बताया कि पकड़े गए आरोपी रहबर का भाई घंटाघर स्थित मार्केट में चूडिय़ों की दुकान करता है। इस दुकान पर जाली नोट बड़ी तादात में खपाए जा रहे थे। आरोपी रहबर जाली करेंसी को ले जाकर अपने भाई को देता था। उसका भाई दुकान से चूडिय़ां खरीदने वाली महिला ग्राहकों को पैसों के लेन.देन में जाली नोट मिलाकर दे देता था। यह काम मोटे कमीशन पर किया जा रहा था।

पुलिस का कहना है कि आरोपियों के बयानों के आधार पर पुलिस आगे भी कार्रवाई कर रही है। प्रभारी का कहना है कि अब तक की जांच में आरोपियों के तार किसी बाहरी देश या फिर संगठन से जुड़े नहीं पाए गए हैं।

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