दलित परिवार के चार लोगों की कुल्हाड़ी मार कर हत्या, उतर प्रदेश की कानून व्यवस्था पर उठे सवाल

प्रयागराज, एक दलित परिवार के चार लोगों की कुल्हाड़ी मार कर हत्या कर दी गई है.हत्या के साथ परिवार की ही एक नाबालिग़ बच्ची के साथ गैंगरेप का आरोप भी लगा है। घटना प्रयागराज के फाफामऊ के मोहनगंज गोहरी गांव की है.

बुधवार रात को मोहनगंज गोहरी गांव में जब ये घटना हुई तब परिवार के मुखिया जिनकी उम्र 50 साल थी, साथ में उनकी 45 वर्षीय पत्नी, 16 साल की बेटी और 10 साल के बेटे घर में सो रहे थे. सुबह घर का दरवाज़ा न खुलने पर गांव के लोगों ने पुकारा लेकिन घर के अंदर से कोई आवाज़ नहीं आई.

गांव वालों ने पुलिस को जानकारी दी और पुलिस को घर में चारों के ख़ून से लथपथ शव मिले. घर से एक कुल्हाड़ी भी बरामद हुई है। मृतक के छोटे भाई के कहने पर पुलिस ने एफ़आईआर दर्ज कर ली है.

एफ़आईआर के अनुसार, “सुबह मोहल्ले में नौ बजे हल्ला हुआ कि मेरे बड़े भाई का घर बहुत समय से खुला नहीं है. जब हम वहां पहुँचे तो दरवाज़ा धकेलने पर खुल गया और हमे चारों के शव ख़ून से लथपथ मिले. लड़की के कपडे अस्त व्यस्त थे और ऐसा लग रहा था कि उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म हुआ है.”

एफ़आईआर में आरोप लगाया है कि, “गांव के दबंग व्यक्ति आकाश सिंह, उनके पिता अमित सिंह, अमित सिंह की पत्नी बबली सिंह और आठ अन्य लोगों ने ज़मीन के विवाद के चलते 5 और 21 सितम्बर को दलित परिवार से मारपीट की. उन्होंने जान से मारने की धमकी दी. इस मामले की एफ़आईआर थाने में दर्ज है लेकिन अभी तक इसमें कोई करवाई नहीं की गई है।

इन आरोपों के बारे में मृतक की भाभी ने मौक़े पर मौजूद मीडिया को परिवार के साथ कुछ दिन पहले हुई मारपीट की घटनाओं की जानकारी देते हुए कहा, “इन लोगों से हम लोगों की रंजिश रही है. मुक़दमा हुआ, एससी-एसटी का मामला बना, घर में घुसने का केस हुआ, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की.”

“हम लोगों की कोई सुनवाई नहीं हुई. 21 सितम्बर को गेट तोड़ कर घर में घुस कर हम लोगों को मारा गया. फिर भी तुरंत मुक़दमा नहीं बना. एक हफ़्ते बाद मुक़दमा बना और उसमे दोनों तरफ़ का मुक़दमा बनाया गया. पूरी लापरवाही पुलिस की है.”

मृतक की भाभी ने पुलिस की अभियुक्तों के साथ मिलीभगत का आरोप लगते हुए मीडिया से कहा, “सिपाही सुशील कुमार बार-बार आते थे हमारे दरवाज़े पर कि समझौता कर लो, समझौता कर लो. वो फाफामऊ चौकी पर सिपाही हैं.”

“अभियुक्त बबली सिंह हमारे घर के पास के ठाकुर परिवार से हैं, पुलिस दरोग़ा सब की बनती थी उनसे. बोलती थीं कुछ नहीं कर पाएंगे, बोली कोई कुछ नहीं कर पाएगा हमारा. इंस्पेक्टर भी थे उनके साथ. वो कहते थे समझौता कर लो.”

एफ़आईआर में भी थानाध्यक्ष फाफामऊ राम केवल पटेल और सिपाही सुशील कुमार सिंह पर सुलह करने के लिए दबाव बनाने का आरोप लगाया गया है. उसमे लिखा है “खुलेआम मुलज़िमों की मदद की जाती थी, और उपरोक्त पुलिस की शह पर इन लोगों ने ये नृशंस हत्या की.”

इस पूरे मामले में मोहनगंज गोहरी गांव में रहने वाले आकाश सिंह उनके पिता अमित सिंह और उनकी मां बबली सिंह के अलावा आठ और लोगों को नामज़द कर उन पर हत्या, एससी एसटी एक्ट का मामला दर्ज किया गया है.

एफ़आईआर में नाबालिग़ के साथ सामूहिक दुष्कर्म का भी आरोप लगाया गया है, इसलिए मुक़दमे में पोक्सो एक्ट की धाराओं को भी शामिल किया गया है।

पुलिस ने सभी शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा है और रिपोर्ट का इंतज़ार किया जा रहा है. पुलिस ने कुछ नामजद अभियुक्तों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है लेकिन अभी तक किसी की भी गिरफ़्तारी होने की पुष्टि नहीं हुई है.

प्रयागराज के एसएसपी सर्वश्रेष्ठ सिंह बुधवार को ही मौक़े पर पहुँचे और हत्याओं की जानकारी देते हुए कहा, “किन कारणों से यह घटना हुई है उसके बारे में अभी विस्तृत जानकारी आएगी. इसके अलावा भी जो जानकारी आई है, जो परिवार वालों से पता चला है और हमने भी रिपोर्ट में देखी है कि 2019 और 2021 में उन्होंने कुछ लोगों के ऊपर भूमि विवाद में, उन्होंने एससी एसटी का केस लिखवाया है.”

“वो केस लिखा गया है. उस केस में कारवाई नहीं होने का उन्होंने आरोप लगाया है जिसके बारे में भी हम लोग कठोर करवाई करेंगे. संदिग्ध लोगों को इनके नाम के आधार पर हम लोगों ने पूछताछ के लिए हिरासत में ले लिया है. और पूछताछ करके इस घटना की जानकारी जल्द ही सामने लाई जाएगी.”

 

प्रयागराज की घटना के बाद मीडिया के हवाले से मिली ख़बरों के आधार पर उत्तर प्रदेश कांग्रेस ने भी इस मुद्दे को उठाया है.

एक ट्वीट में उत्तर प्रदेश कांग्रेस ने कहा “प्रयागराज में दलित परिवार लगातार पुलिस के चक्कर काटता रहा, पुलिस ने उनकी नहीं सुनी और बेखौफ़ गुंडों ने पूरे परिवार की हत्या कर दी. बुल्डोजरनाथ से प्रदेश तो छोड़िए, पुलिस तक नहीं संभल रही है. हर ख़ौफ़नाक घटना में या तो पुलिस संलिप्त है या फिर बेपरवाह है.”

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने इलाहाबाद में पीड़ित परिवार से मिलकर पीड़ा साझा की.

प्रियंका गांधी ने कहा, “प्रदेश में कानून व्यवस्था की खुलकर धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. इस सरकार में गरीबों, दलितों एवं वंचितों की कोई सुनवाई नहीं है. आज संविधान दिवस है. न्याय संविधान का सबसे महत्वपूर्ण मूल्य है. मैं न्याय की लड़ाई के साथ हूं।

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