नई दिल्ली, पूर्व विदेश मंत्री कुंवर नटवर सिंह ने शनिवार (10 अगस्त) देर रात अंतिम सांस ली. कुंवर नटवर सिंह के निधन की खबर मिलते ही पूरे भरतपुर में शोक की लहर दौड़ गई. कुंवर नटवर सिंह का जन्म 16 मई 1929 को भरतपुर के जघीना गांव में हुआ था.
उनका स्वर्गवास 10 अगस्त 2024 को गुरुग्राम के मेदांता हॉस्पिटल में हुआ है. दिल्ली में उनके शव का अंतिम संस्कार किया जाएगा. कुंवर नटवर सिंह 95 साल के थे और, कुछ समय पहले से बीमार चल रहे थे.
कुंवर नटवर सिंह अपने पिता मेजर गोविन्द सिंह और मां प्रयाग कौर के चार बेटों में सबसे छोटे बेटे थे. उनकी पढ़ाई में काफी रूचि थी. उन्होंने सिंधिया स्कूल ग्वालियर, मेयो कॉलेज अजमेर, दिल्ली और केम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में पढ़ाई की, चीन में पेकिंग यूनिवर्सिटी में विजिटिंग स्कॉलर रहे. कुंवर नटवर सिंह 1953 में भारतीय विदेश सेवा में चुने गए.
कुंवर नटवर सिंह 31 साल तक विदेश सेवा में काम किया. वह पहली बार 1984 में भरतपुर से सांसद चुने गए थे . वर्ष 1985 में राजीव गांधी के मंत्रिमंडल में शामिल हुए थे. वर्ष 1984 में उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया. कुंवर नटवर सिंह ने लोकसभा का दूसरा चुनाव मथुरा से लड़ा था, जिसमे उन्हें हार का सामना पड़ा था.
कुंवर नटवर सिंह का राजनीतिक करियर उतार चढ़ाव भरा रहा. कुंवर नटवर सिंह विदेश सेवा से इस्तीफा देने के बाद कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए. 1984 में पहली बार भरतपुर से सांसद बने थे. कुंवर नटवर सिंह केंद्र में राजीव गांधी की सरकार में 1985 में इस्पात ,कोयला खान एवं कृषि राज्य मंत्री का भार सौंपा गया था.
वर्ष 1986 में विदेश राज्य मंत्री बनाया गया था. 1987 में न्यूयॉर्क में निरस्त्रीकरण और विकास पर संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के अध्यक्ष चुने गए. संयुक्त राष्ट्र महासभा के 42 वें सत्र में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व भी किया. वर्ष 1989 के लोकसभा आम चुनाव में कुंवर नटवर सिंह उत्तर प्रदेश की मथुरा लोकसभा सीट से चुनाव लड़े थे जहां उनको हार का सामना करना पड़ा था.
वर्ष 2002 में कुंवर नटवर सिंह राजस्थान से राज्यसभा के लिए चुने गए. कांग्रेस की मनमोहन सिंह की सरकार में वर्ष 2004 में कुंवर नटवर सिंह विदेश मंत्री बनाये गए. वर्ष 2005 में कुंवर नटवर सिंह का आयल फॉर फ़ूड घोटाले में नाम आने के बाद उन्हें विदेश मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा था.
नटवर सिंह की शादी में इंदिरा गांधी की अहम भूमिका रही थी. कुंवर नटवर सिंह की शादी 1967 में पटियाला के अंतिम शासक महाराजा यादविंद्र सिंह की बड़ी बेटी हेमेंद्र कौर से हुई थी. हेमेंद्र कौर पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की बहन हैं. इस संबंध में इंदिरा गांधी ने अहम भूमिका निभाई थी.
कुंवर नटवर सिंह को था किताब पढ़ने का शौक
कुंवर नटवर सिंह की अपनी लाइब्रेरी में लगभग 10 हजार से अधिक किताबें हैं. कुंवर नटवर सिंह को पढ़ाई का शौक था. बताया जाता है कि उनकी लाइब्रेरी में 10 हजार से भी ज्यादा किताबें हैं. कुंवर नटवर सिंह शाम को लाइब्रेरी में किताबें पढ़ते थे. कुंवर नटवर सिंह ने महाराजा सूरजमल हिज लाइफ एंड टाइम्स, वन लाइफ इस नॉट इनफ जैसी किताबें लिखी हैं.
वर्ष 2014 में कुंवर नटवर सिंह की वन लाइफ इज नॉट इनफ जारी हुई. इस किताब ने दिल्ली की राजनीति में हलचल मचा दी थी. उनकी यह किताब इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, पीवी नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह के शासन के दौरान कई संवेदनशील घटनाक्रमों का खुलासा करती है. किताब में नटवर सिंह ने वोल्कर रिपोर्ट और उनके इस्तीफे से पहले की पृष्ठभूमि पर हुए विभिन्न राजनैतिक प्रस्तावों का विवरण लिखा गया था. इस किताब पर सोनिया गांधी ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी थी. जिस पर अपनी आपत्ति जताई थी.
जिला कांग्रेस कमेटी ने दी श्रद्धांजलि
पूर्व विदेश मंत्री कुंवर नटवर सिंह के निधन पर जिला कांग्रेस कमेटी एवं शहर कमेटी के पदाधिकारियों ने गहरा दुख व्यक्त करते हुए पार्टी की ओर से उनको श्रद्धांजलि अर्पित की.
इस मौके पर जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष दिनेश सूपा ने कहा कि भरतपुर के जघीना गांव में जन्मे कुंवर नटवर सिंह के निधन से केवल भरतपुर के लिए ही नहीं बल्कि पूरे देश के लिए भारी छति हुई है. नटवर सिंह जी विदेश नीति एवं अंतरराष्ट्रीय संबंधों के विशेषज्ञ माने जाते थे. भरतपुर के विकास में भी नटवर सिंह का विशेष योगदान रहा है. श्रद्धांजलि अर्पित करने वालों में मुख्य रूप से सांसद संजना जाटव, नगर निगम महापौर अभिजीत कुमार, साहब सिंह एडवोकेट, चुन्नी कप्तान,सतीश सोगरवाल,शहर अध्यक्ष दयाचंद पचौरी, दीनदयाल जाटव,हरस्वरूप सरपंच, जगदीश बंजी,
इसके अलावा योगेश सिंघल, श्रीचंद गॉड, ज्ञानेश शर्मा, मनोज शर्मा, रामेश्वर सैनी, श्रीभगवान कटारा, गंगाराम पाराशर, राजीव कुम्हेर, अशोक तांबी, पार्षद मुकेश पप्पू, राकेश पठानिया, रेनू गोरावर, चंद्रभान फौजदार, दीपेंद्र बुरावई, अजयपाल दारापुरिया, सौरभ सोलंकी, हरिमोहन शर्मा, प्रेम शर्मा, प्रेमसिंह प्रजापत, उपेंद्र चंदेला, दामोदर डागुर, बृजभूषण जाटव, श्याम सिंह गुर्जर, सुखदेव चौधरी, नदीम मालिक, शहीद खान, अवधेश शर्मा आदि शामिल थे.