नई दिल्ली, ईद-ए-मिलाद मुस्लिम समुदाय (muslim community) में मनाया जाने वाला खास पर्व है. मिलाद-उल-नबी या ईद उल मिलादुन्नबी का उत्सव आखिरी पैगंबर हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम (prophet hazrat muhammad sallallahu alaihi wasallam) के जन्मदिन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है.
इस दिन लोग पैगंबर मुहम्मद (Prophet Muhammad) के जीवन और उनकी शिक्षाओं को याद करते हैं.
ईद उल मिलादुन्नबी कब मनाया जाता है (Eid Milad Un Nabi 2024 Date)
ईद मिलादुन्नबी का पर्व रबी-उल-अव्वल (Rabi al Awwal) के 12वें दिन मनाया जाता है. रबी-उल-अव्वल इस्लामिक कैलेंडर (Islamic Calendar) का तीसरा महीना होता है. बुधवार 4 सितंबर 2024 को भारत में रबीउल अव्वल का चांद (Rabi al Awwal Moon) नजर आया. चांद का दीदार होने के बाद रबीउल अव्वल माह की शुरुआत हो गई. इसके बाद 16 सितंबर 2024 को अकीदत के साथ हजरत मुहम्मद की विलादत (पैदाइश) ईद मिलादुन्नबी के पर्व के रूप में मनाया जाएगा.
वैसे तो रबीउल अव्वल की पहली तारीख से ही मस्जिदों में जलसे के दौर की शुरुआत हो जाती है. लेकिन 16 सितंबर को पारंपरिक मदहे रसूल जुलूस निकाला जाएगा, अल्लाह की इबादत की जाएगी और कुरआन-ए-पाक की तिलावत की जाएगी.
शिया और सुन्नी (Sunni) संप्रदाय के लोग ईद मिलाद-उन-नबी अलग-अलग दिनों में मनाते हैं. सुन्नी विद्वानों ने यह पर्व मनाने के लिए 12वीं रबी-उल-अव्वल को चुना तो वहीं शिया संप्रदाय के लोग 17वें रबी-उल-अव्वल को यह पर्व मनाते हैं.
ईद मिलाद-उन-नबी खुशी या गम का पर्व?
रबी-उल-अव्वल की 12वीं तारीख को ही इस्लाम के आखिरी पैगंबर हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की पैदाइश हुई थी इसलिए यह दिन एक खुशहाल उत्सव है. इसलिए मुसलमानों के लिए इस दिन का खास महत्व होता है. लेकिन दूसरी ओर यह शोक का भी दिन होता है. क्योंकि इसी तारीख को पैगंबर मोहम्मद की वफात हुई थी।