गाज़ियाबाद , राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि हिंदू-मुस्लिम की एकता की बातें भ्रामक हैं, क्योंकि दोनों एक ही हैं। दोनों का इतिहास और पृष्ठभूमि अलग-अलग हो सकती है, लेकिन पूर्वज समान हैं, दोनों का डीएनए एक ही है। दोनों एक होकर भी एक नहीं हुए, इसकी वजह राजनीति है।
अल्पसंख्यकों के मन में यह डर बिठाया गया कि हिंदू उसको खा जाएगा। अन्य देशों में ऐसा होगा जहां बहुसंख्यक अल्पसंख्यक पर हावी हैं, लेकिन हमारे यहां जो भी आया, वह आज भी मौजूद है। हिंदू-मुस्लिम जब खुद को अलग-अलग मानते हैं, तब संकट पैदा होता है। हम निराकार के साथ आकार की भी श्रद्धा रखते हैं। पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हा राव के सलाहकार रहे ख्वाजा डॉ. इफ्तखार हसन की किताब ‘द मीटिंग ऑफ माइंड्स’ का मेवाड़ इंटर कॉलेज में आयोजित कार्यक्रम में विमोचन करते हुए उन्होंने कहा कि जो भारत को अपनी मातृभूमि मानते हैं, वे सब हिंदू हैं।
गाय को हम अपनी मां मानते हैं, लेकिन गाय के नाम पर मॉब लिंचिंग सही नहीं हैं। लिंचिंग करने वाले हिंदुत्व के खिलाफ हैं। उनके खिलाफ कानून को अपना काम करना चाहिए। दोषी चाहें किसी भी समाज का हो, उसे सजा मिलनी चाहिए।
भागवत ने कहा कि देश में सब एक हैं, इसका आधार है हमारी मातृभूमि। इसलिए यहां कभी झगड़ा करने की जरूरत नहीं पड़ती। यह हमारी शक्ति है, लेकिन हम इसका उपयोग नहीं करते। भारत को विश्वगुरु बनाने के लिए हम सबको बड़ा बनना होगा, सबको साथ लेकर चलना होगा। जब हम अपने पूर्वजों के बारे में सोचते हैं तो पाते हैं कि सभी एक हैं। ऐसा सोचने से मन में अपनापन आ जाता है।
भागवत ने कहा कि हम वोट की राजनीति में विश्वास नहीं रखते। हमारा प्रयास अगले चुनाव में मुस्लिमों का वोट पाने के लिए भी नहीं है। चुनाव में हम ताकत लगाते हैं, लेकिन हमारा काम राष्ट्र के लिए है। संघ अपनी छवि की परवाह नहीं करता है। दुनिया चाहें जो सोचे, हम अपना काम कर रहे हैं। मनुष्यों को जोड़ने का काम राजनीति के वश का नहीं है। राजनीति इस काम का औजार नहीं है, बल्कि इसे बिगाड़ने का हथियार है।