नई दिल्ली, पेट्रोल और डीजल की कीमतें रविवार को 35 पैसे प्रति लीटर बढ़ा दी गईं। लगातार चौथे दिन हुई इस वृद्धि के बाद पूरे देश में पेट्रोल और डीजल की महंगाई ने नया रिकॉर्ड बना लिया है।
पेट्रोल तो हवाई जहाज में भरे जाने वाले एविएशन टर्बाइन फ्यूल (एटीएफ) से 33 प्रतिशत ज्यादा महंगा हो गया है। एटीएफ करीब 79 रुपये का एक लीटर है, और दिल्ली में पेट्रोल 105 रुपये के पार जा चुका है।
सितंबर के आखिरी हफ्ते से अब तक पेट्रोल 16 और डीजल 19 बार महंगा किया गया। इस अवधि में पेट्रोल 4.65 रुपये और डीजल 5.95 रुपये प्रति लीटर महंगा हुआ। नई वृद्धि के बाद देश की सभी राजधानियों में पेट्रोल 100 रुपये प्रति लीटर के पार चला गया है। डीजल भी कई राज्यों में 100 रुपये के ऊपर हो चुका है या इसके करीब है। 4 मई से 17 जुलाई के बीच भी इसी प्रकार की वृद्धि के बाद पेट्रोल की कीमतें 11.44 और डीजल की कीमतें 9.14 रुपये प्रति लीटर बढ़ गई थी।
वहीं, केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि पेट्रोलियम की कीमतों पर नियंत्रण के लिए हम हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने शनिवार को कहा था कि कोरोना महामारी से पहले के मुकाबले अब पेट्रोल की खपत 10 से 15 प्रतिशत और डीजल की खपत 6 से 10 प्रतिशत बढ़ चुकी है। उन्होंने कहा था कि सरकार कीमतें स्थिर रखने के लिए काम कर रही है। हालांकि बढ़ती कीमतों के बारे में उन्होंने कुछ और नहीं कहा।
पेट्रोल में वृद्धि, दिल्ली 0.35 105.84, मुंबई 0.34 111.77, कोलकाता 0.33 106.43, चेन्नई 0.31 103.01
डीजल में वृद्धि, दिल्ली 0.35 94.57, मुंबई 0.37 102.52,
कोलकाता 0.35 97.68, चेन्नई 0.33 98.92
राजस्थान के गंगानगर में पेट्रोल 117.86 रुपये प्रति लीटर और डीजल 105.95 रुपये प्रति लीटर पहुंच चुका है। पाकिस्तान की सीमा से लगते इस शहर में दोनों ईंधन की कीमत देश में सर्वाधिक है।
इन राज्यों में 100 के पार पहुंचा डीजल डीजल की कीमत कई राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों में 100 रुपये प्रति लीटर से पार पहुंच चुकी है। इनमें मध्यप्रदेश, राजस्थान, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गुजरात, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, बिहार, केरल, कर्नाटक और लद्दाख शामिल हैं। राज्यों के क्षेत्रीय करों में अंतर की वजह से कीमतों में मामूली फर्क होता है।
एक महीने पहले अंतर्राष्ट्रीय बेंचमार्क कहे जाने वाले ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमत 73.91 डॉलर प्रति बैरल थी, जो आज 84.8 डॉलर प्रति बैरल है। यह पिछले 7 साल में सबसे अधिक कीमत है।
पेट्रोल-डीजल की महंगाई के पीछे केंद्र सरकार द्वारा बढ़ाए टैक्स सबसे बड़ी वजह हैं। यह दोनों उत्पाद सरकार की आय का प्रमुख स्रोत बन चुके हैं।
2014 में तेल कंपनियां डीलरों को 49 रुपये प्रति लीटर की दर से पेट्रोल बेच रही थी। इनमें केंद्र व राज्य सरकारों के टैक्स और डीलरों का मार्जिन मिलाने पर कीमत 74 रुपये प्रति लीटर पहुंचती थी। उस समय केंद्र 14 प्रतिशत टैक्स लेता था, आज 32 प्रतिशत ले रहा है। राज्य सरकारें भी 17 प्रतिशत से बढ़ाकर 23 प्रतिशत टैक्स ले रही हैं। टैक्स की 2014 की दरें ही बरकरार रहें तो पेट्रोल 70 से 75 रुपये प्रति लीटर में मिल सकता है।
डीजल पर 2014 में केंद्र का टैक्स 8 फीसदी था जो आज 35 फीसदी है। राज्यों का टैक्स 12 फीसदी से बढ़कर 15 फीसदी हो गया है। यह भी अगर 2014 के स्तर पर रहे तो डीजल 55 से 60 रुपये प्रति लीटर में मिल सकता है।