नई दिल्ली, भारतीय खाने की जान है लहसुन. किसी भी खाने में स्वाद और खुशबू बढ़ाना है तो लहसुन बेहद जरूरी है. लहसुन किसी भी खाने में जान डाल देती है. आज हम आपको लहसुन से जुड़ी ही दिलचस्प खबर बताने जा रहे हैं.
साल 2014 से भारतीय मार्केट में चाइनीज लहसुन बैन है. लेकिन सबसे हैरानी की बात यह है कि बैन होने के बावजूद अभी भी इंडियन मार्केट में चोरी-छिपे से यह बेचा जा रहा है.
गोंडल कृषि उत्पाद बाज़ार सहकारी
रिपोर्टों के अनुसार गुजरात के राजकोट में व्यापारियों ने हाल ही में गोंडल कृषि उत्पाद बाज़ार सहकारी (APMC) में चीनी लहसुन के कई बैग पाए जाने के बाद एक दिन का विरोध प्रदर्शन किया है. गोंडल APMC में व्यापारियों के संघ के अध्यक्ष योगेश कयाडा ने PTI को बताया, हम प्रतिबंध के बावजूद अवैध तरीके से चीनी लहसुन के भारत में आने के खिलाफ़ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि चीनी लहसुन अपने आकार और सुगंध के कारण अलग है और स्थानीय फसल की तुलना में सस्ता है, जो इसे तस्करों और एजेंटों के लिए लाभदायक बनाता है.
गौरतलब है कि चीन दुनिया का सबसे बड़ा लहसुन उत्पादक आइए चीनी लहसुन के बारे में जानें और साथ ही जानें कि यह भारतीय लहसुन से किस तरह अलग है? लहसुन को एक जादुई मसाला या मसाला माना जाता है, जो किसी भी खाने का स्वाद बढ़ा देता है. इसे एलियम सैटिवम के नाम से भी जाना जाता है, यह पूरे देश में उगाया जाता है, ज़िनोवा शाल्बी हॉस्पिटल की डाइटिशियन जिनल पटेल के मुताबिक चाइनीज और भारतीय लहसुन के बीच अंतर बताते हुए उन्होंने कहा, आजकल, भारतीय के अलावा, चीनी लहसुन भी बाजार में उपलब्ध है. हालांकि, लोगों को दोनों के बीच का अंतर नहीं पता है. चीनी लहसुन हल्का सफेद और गुलाबी रंग का होता है और आकार में छोटा होता है. भारतीय लहसुन की गंध तेज़ और तीखी होती है, जबकि चीनी लहसुन की सुगंध हल्की होती है.
पटेल के अनुसार भारतीय लहसुन न्यूनतम रसायनों के साथ उगाया जाता है और उपभोग के लिए सुरक्षित है. चीनी लहसुन आधुनिक कृषि तकनीकों के एकीकरण के साथ उगाया जाता है जिसमें रसायनों और कीटनाशकों का भारी उपयोग होता है. इसलिए चीनी लहसुन स्वास्थ्य और समग्र कल्याण के लिए उपभोग के लिए बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं है. चीनी लहसुन में सिंथेटिक पदार्थ भी होते हैं जो खतरनाक हो सकते हैं. उन्होंने चीनी लहसुन के बजाय भारतीय लहसुन खाने पर जोर दिया क्योंकि यह प्राकृतिक स्वादों से भरपूर है और देश में पारंपरिक कृषि पद्धतियों का उपयोग करके उगाया जाता है.