नई दिल्ली, शराब घोटाले में दिल्ली (Delhi) के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) को जेल भेज चुकी ईडी को सोमवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में बड़ा झटका लगा.
दरअसल, कथित रूप से 2000 करोड़ रुपये के छत्तीसगढ़ शराब घोटाले (Chhattisgarh Liquor Scam) को ईडी सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में साबित नहीं कर पाई. इसके बाद कोर्ट ने ईडी (ED) का झटका देते हुए पूर्व आईएएस अनिल टुटेजा (Anil Tuteja) और उनके पुत्र यश (Yash) के खिलाफ मामले को रद्द कर दिया.
छत्तीसगढ़ में कथित 2000 करोड़ रुपये के शराब घोटाले के मामले में ईडी को लगे झटके के बाद विपक्ष ईडी के खिलाफ हमलावर हो गया है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ईडी की कार्रवाई को विपक्ष के खिलाफ साजिश करार दिया. उन्होंने कहा छत्तीसगढ़ में पूर्ववर्ती सरकार के दौरान सामने आए कथित शराब घोटाले से जुड़े धन शोधन मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले से यह उजागर हो गया है कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) किस तरह से साजिश रच रहा है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के इशारे पर विपक्षी दलों को निशाना बना रहा है.
उच्चतम न्यायालय ने छत्तीसगढ़ में दो हजार करोड़ रुपये के कथित शराब घोटाले में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के पूर्व अधिकारी अनिल टुटेजा और उनके बेटे यश के खिलाफ दर्ज धन शोधन का मामला सोमवार को रद्द करते हुए कहा कि अपराध से कोई संपत्ति अर्जित नहीं की गई.
इस फैसले के बाद बघेल ने सोशल मीडिया साइट ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा कि ईडी जैसी केंद्रीय एजेंसियों की प्रतिबद्धता संविधान के प्रति होनी चाहिए, किसी राजनीतिक दल के प्रति नहीं. बघेल ने कहा कि ईडी का शर्मनाक राजनीतिक दुरुपयोग साबित होने के साथ ही मोदी सरकार बेनकाब हो गई है. शीर्ष अदालत के आज के फैसले से साबित हो गया है कि ईडी भाजपा के इशारे पर हर मामले को धन शोधन का मामला बनाकर विपक्षी दलों को बदनाम करने की साजिश रच रही है.”
बघेल ने आरोप लगाया कि छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के वक्त ईडी ने शराब घोटाले का मामला दर्ज कर भाजपा को चुनावी हथियार दिया. भाजपा ने पूरे चुनाव में कांग्रेस की सरकार को बदनाम करने की कोशिश की, लेकिन आज उच्चतम न्यायालय के फैसले से साफ हो गया है कि भाजपा सिर्फ झूठ फैला रही थी.
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि इस फैसले ने भाजपा की केंद्र सरकार की ओर से लोकतांत्रिक संस्थाओं का दुरुपयोग करके अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को बदनाम करने के षड्यंत्र से पर्दा उठा दिया है. उन्होंने कहा कि यह सही समय है, जब ईडी जैसी जांच एजेंसियों को भी समझना चाहिए कि उनकी प्रतिबद्धता संविधान के प्रति होनी चाहिए, वे किसी राजनीतिक खेल का हिस्सा न बनें.”
पिछले साल जुलाई में, ईडी ने रायपुर की धन शोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) अदालत में कथित शराब घोटाला मामले में अभियोजन शिकायत (आरोपपत्र) दायर किया था, जिसमें दावा किया था कि कथित ‘शराब घोटाला’ में 2161 करोड़ रुपये का भ्रष्टाचार हुआ.
ईडी ने कहा था कि आबकारी विभाग की मुख्य जिम्मेदारी शराब की आपूर्ति करना है. जहरीली शराब की त्रासदियों को रोकने के लिए उपयोगकर्ताओं को गुणवत्तापूर्ण शराब आपूर्ति सुनिश्चित करना और राज्य के लिए राजस्व अर्जित करना है, लेकिन अनिल टुटेजा और व्यवसायी अनवर ढेबर (कांग्रेस नेता और रायपुर महापौर एजाज ढेबर के भाई) के नेतृत्व में आपराधिक सिंडिकेट ने इन उद्देश्यों को पलट दिया.
इसमें कहा गया था कि इस सिंडिकेट में राज्य के वरिष्ठ नौकरशाह, नेता, उनके सहयोगी और आबकारी विभाग के अधिकारी शामिल हैं. इस वर्ष की शुरुआत में छत्तीसगढ़ की आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा/भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने भी ईडी की एक रिपोर्ट के आधार पर कांग्रेस नेताओं और कंपनियों सहित 70 लोगों के खिलाफ कथित शराब घोटाले में मामला दर्ज किया था. आपको बता दें कि पिछले सप्ताह कथित घोटाले में अनवर ढेबर और अरविंद सिंह को गिरफ्तार भी किया गया था.