राजस्थान में आसान नहीं है बीजेपी की राह, वसुंधरा दिखा सकती हैं बगावती तेवर

जयपुर, मध्यप्रदेश , राजस्थान (Rajasthan) और छत्तीसगढ़ में पीएम मोदी और अमित शाह की पसंद के मोहन यादव , भजन लाल शर्मा  और विष्णु साय को पार्टी ने मुख्‍यमंत्री बनाने का ऐलान कर दिया है।

जब इन नामों की घोषणा हो रही थी, तब तीनों ही राज्यों के बड़े नेताओं के हाव-भाव कुछ ओर ही बयां कर रहे थे। छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश की तरह राजस्थान के दृश्य भी इतर नहीं थे।

जब बगल में खड़ीं वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) को राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने मुख्‍यमंत्री के नाम की पर्ची पकड़ाई तो उन्होंने बेमन से पर्ची खोली और प्रस्तावक की भूमिका निभाते हुए नाम का ऐलान कर दिया, उनके चेहरे की सख्ती उनकी नाखुशी को ही जाहिर कर रही

स्वागत के दौरान भी उनके चेहरे से खुशी एकदम गायब थी और गुस्से के भाव नजर आ रहे थे। चुनाव के नतीजों के बाद ‘महारानी’ प्रेशर पॉलिटिक्स कर रही थीं। उनके तेवर को देखकर माना जा रहा था कि शायद उनके दबाव में पार्टी एक बार फिर उनके सामने सरेंडर कर देगी, लेकिन मोदी और शाह की जोड़ी ने नड्डा के जरिए वसुंधरा को उनकी असली जगह दिखा दी।

खबरें यहां तक थीं कि वे सिर्फ एक साल के लिए मुख्यमंत्री बनना चाहती थीं और पार्टी उन्हें विधानसभा स्पीकर बनाना चाह रही थी, लेकिन ऐसा हो न सका। उनके समर्थक विधायक पार्टी अनुशासन में बंधे होने के कारण चुप्पी साध गए। राजनीतिक गलियारों में अब ये चर्चाएं भी हैं कि वसुंधरा का अगला कदम क्या होगा? क्या पार्टी उन्हें लोकसभा चुनाव लड़ाकर केंद्र में मंत्री बनाने का प्रस्ताव देगी या फिर उन्हें संगठन में कोई बड़ा पद दिया जा सकता है।

हालांकि यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन वसुंधरा चुप बैठने वाली नेताओं में नहीं हैं। उल्लेखनीय है कि राजस्थान में विधानसभा चुनाव की घोषणा के बाद शुरुआती दौर में भाजपा कांग्रेस के मुकाबले पिछड़ती हुई दिख रही थी। उस समय पार्टी ने पूर्व मुख्‍यमंत्री वसुंधरा को नैपथ्य में रखा था, लेकिन जब उन्हें ‘फ्रंट’ में लाया गया, उसके बाद विधानसभा चुनाव में पार्टी ने धीरे-धीरे बढ़त बना ली। इस दौरान वसुंधरा ने मोदी के साथ मंच भी साझा किए। इससे राज्य के लोगों में पार्टी की एकजुटता का संदेश गया।

 

हालांकि राजस्थान में भाजपा को हिन्दू-मुस्लिम ध्रुवीकरण का भी फायदा मिला। इसमें कोई संदेह नहीं कि जिस समय भजनलाल शर्मा के नाम का ऐलान होने वाला था, तब वसुंधरा के चेहरे के भाव स्पष्ट रूप से बता रहे थे कि वे खुश नहीं हैं। ऐसे में आने वाले समय खासकर लोकसभा चुनाव के दौरान उनका कैसा रुख रहेगा, इस पर सभी की नजर रहेगी

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