नई दिल्ली, पश्चिम बंगाल में आसनसोल लोकसभा सीट जीतकर सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस ने इतिहास रच दिया। टीएमसी के उम्मीदवार और फिल्म अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा ने भाजपा उम्मीदवार अग्निमित्रा पॉल को 2 लाख 64 हजार 913 वोट से शिकस्त दी है।
ये सीट पिछले साल बाबुल सुप्रियो के इस्तीफे के बाद खाली हुई थी। सुप्रियो भाजपा छोड़कर टीएमसी में शामिल हो गए थे। प्रदेश की आसनसोल सीट 1957 के चुनावों से ही अस्तित्व में आई हैं। इसके बाद से इस सीट पर कभी कांग्रेस तो कभी वामदलों कब्जा रहा है। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनावों में इस सीट पर भाजपा ने जीत हासिल की थी। सुप्रियों के भाजपा छोड़ने के बाद इस सीट पर उपचुनाव हुए। पहली बार इस सीट से टीएमसी के किसी उम्मीदवार ने जीत दर्ज की है। वहीं राज्य की बालीगंज विधानसभा सीट से टीएमसी के बाबुल सुप्रियो ने भाजपा की केया घोष और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की सायरा शाह को हराया। यह सीट पर पूर्व विधायक और राज्य के मंत्री रहे सुब्रत मुखर्जी के निधन के बाद खाली हुई थी।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी अध्यक्ष ममता बनर्जी ने आसनसोल लोकसभा के मतदाताओं को धन्यवाद कहा है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा कि मैं ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवारों को निर्णायक जनादेश देने के लिए आसनसोल संसदीय क्षेत्र और बालीगंज विधानसभा क्षेत्र के मतदाताओं को तहे दिल से धन्यवाद देती हूं। हम इसे अपने मा-माटी-मानुष संगठन के लिए अपने लोगों का हार्दिक शुभो नबाबर्शो उपहार मानते हैं। हम पर विश्वास जताने के लिए एक बार फिर मतदाताओं को सलाम। तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने कहा कि नफरत फैलाने वालों और उत्पीड़कों से मुक्त भारत की ओर एक कदम बढ़ाने के लिए आसनसोल और बालीगंज को धन्यवाद आपकी (जनता) भलाई हमेशा हमारी प्राथमिकता रही है। इधर हार के बाद भाजपा की प्रत्याशी अग्निमित्रा पॉल ने कहा कि हमारी तरफ से कुछ कमियां थीं जिसके कारण हमें हार का सामना करना पड़ा। जनता का फैसला मान्य होगा। कुछ स्थानों पर धांधली के कुछ मामले देखे गए लेकिन केंद्रीय बलों ने वास्तव में अच्छा काम किया। हम आने वाले दिनों में जमीनी स्तर पर काम करेंगे।
बिहार के मुजफ्फरपुर जिले की बोचहां (सुरक्षित) उपचुनाव में राजद के प्रत्याशी अमर पासवान ने जीत दर्ज की। इस उपचुनाव में भाजपा का परंपरागत वोट बैंक हिल गया। विपक्षी दल आरजेडी भूमिहार समाज में सेंधमारी में काफी हद तक सफल रहा है। चुनाव का रिजल्ट बताता है कि भूमाय समीकरण यानी भूमिहार, मुस्लिम, यादव का नारा सोशल मीडिया के साथ-साथ वोटिंग बूथ पर भी दिखा है। आरजेडी ने 17 साल बाद बोचहां में जीत दर्ज की है। 2005 में आखिरी बार लालटेन चुनाव चिह्न पर रमई राम चुनाव जीते थे। इसके बाद 2010 में चुनाव तो रमई राम ही जीते, लेकिन चुनाव चिन्ह तीर (जेडीयू) का था। इसके बाद 2015 में बेबी कुमारी ने निर्दलीय चुनाव जीता। 2020 में वीआईपी के टिकट पर मुसाफिर पासवान चुनाव जीते। उनके निधन के कारण ही उपचुनाव हुआ है।
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि अमर पासवान को दिवंगत मुसाफिर पासवान के निधन से उपजे सहानुभूति का फायदा हुआ। साथ ही साथ उनका युवा होना भी उनके पक्ष में गया। पूरे उपचुनाव के दौरान तेजस्वी यादव ने जोरदार तरीके से कैंपेनिंग की। अपने नेताओं को एकजुट करने के साथ-साथ अपने अंदाज में वोट मांगा। बोचहां की सीधी लड़ाई को विकासशील इंसान पार्टी ने त्रिकोणीय बना दिया था। पार्टी प्रमुख मुकेश सहनी अपने अपमान की बात अपने समाज को समझाने में सफल रहे। यही कारण है कि मल्लाह समाज भाजपा से छिटक गया। वहीं, उनकी प्रत्याशी डॉ. गीता कुमारी ने अपने पिता रमई राम की विरासत को बचाने के लिए काफी कड़ी लड़ाई लड़ी। इन सबका नतीजा रहा कि अमर पासवान बाजी मार ले गए। माना जाता है कि मल्लाह वोटर पिछली बार के चुनाव में भाजपा के साथ था, लेकिन इस बार उन्होंने अपना नेता मुकेश सहनी को ही माना है।
आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने बोचहां की जीत पर कहा कि ‘बिहार के बोचहां के जनता मालिकों को हार्दिक धन्यवाद। बोचहां विधानसभा उपचुनाव में बेरोजगारी, महंगाई एवं बदहाल शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि व विधि व्यवस्था से त्रस्त जनता ने डबल इंजन सरकार तथा अवसरवादी एनडीए ठगबंधन में शामिल 4 दलों की जनविरोधी नीतियों व अहंकार को अकेले परास्त करने का न्यायप्रिय कार्य किया है।’
छत्तीसगढ़ में नक्सल प्रभावित राजनांदगांव जिले की खैरागढ़ विधानसभा सीट जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के विधायक देवव्रत सिंह के निधन के बाद खाली हुई थी। इस सीट के लिए 10 उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतरे थे। यहां मुख्य मुकाबला सत्ताधारी दल कांग्रेस और विपक्षी दल बीजेपी और जनता कांग्रेस के बीच ही रहा। इस सीट से कांग्रेस उम्मीदवार यशोदा वर्मा ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी बीजेपी के कोमल सिंह जंघेल को 20 हजार से ज्यादा वोटों हराया। जबकि जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के प्रत्याशी नरेंद्र सोनी अपनी जमानत तक नहीं बचा सके हैं। उनसे ज्यादा वोट निर्दलीय उम्मीदवार चरण साहू को मिले हैं। खैरागढ़ विधानसभा सीट पर ज्यादातर समय कांग्रेस का कब्जा रहा है। हालांकि, 2018 में बीजेपी के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर के बावजूद कांग्रेस इस सीट को नहीं जीत सकी थी। इस सीट पर पार्टी को तीसरे स्थान पर ही संतोष करना पड़ा था। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि,इन चुनावों में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का जिला बनाने का बड़ा दांव प्रचार के दौरान चला था। जो पूरी तरह से सफल रहा।
कोल्हापुर उत्तर विधानसभा उपचुनावों में महाराष्ट्र विकास अघाड़ी ने पटखनी देते हुए भारतीय जनता पार्टी को हरा दिया है। महाराष्ट्र विकास अघाड़ी की संयुक्त उम्मीदवार और कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरी जयश्री जाधव ने बीजेपी के सत्यजीत कदम को तकरीबन 19 हजार वोटों से करारी शिकस्त दी है। जयश्री जाधव दिवंगत विधायक चंद्रकांत जाधव की पत्नी हैं। इसलिए चुनावों में कांग्रेस को सहानुभूति वोट और महिला वोटरों से काफी उम्मीद थी। जयश्री जाधव कोल्हापुर उत्तर की की पहली महिला विधायक चुनी गई।
प्रदेश की राजनीति पर नजर रखने वाले जानकारों का कहना है कि, बीजेपी के उम्मीदवार सत्यजीत कदम ने 2014 का चुनाव कांग्रेस के टिकट से लड़ा था, तब वे दूसरे नंबर पर रहे थे। उन्हें शिवसेना के राजेश क्षीरसागर ने हरा दिया था। इन चुनावों में शिवसेना ने अपना उम्मीदवार नहीं उतारा। ऐसे में बीजेपी को उम्मीद थी कि शिवसेना का हिंदुत्ववादी वोट बीजेपी की ओर शिफ्ट हो जाएगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। शिवसेना ने कांग्रेस के उम्मीदवार के पक्ष में माहौल बनाया। जिसका फायदा कांग्रेस प्रत्याशी को मिला।
कोल्हापुर उप चुनाव में महा विकास आघाडी की मजबूत स्थिति पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए संजय राउत ने कहा कि, हनुमान चालीसा की राजनीति चाहे कोई कितनी भी करे लेकिन राम का धनुष भी हमारे साथ है और हनुमान का गदा भी हमारे साथ है। कोल्हापुर में जनता ने उनके भोंगा (लाउडस्पीकर विवाद) को ठेंगा दिखा दिया