नई दिल्ली, यूएई में जॉब करने वाले भारतीय लोगों के लिए अच्छी खबर है. दरअसल, सितंबर की शुरुआत में यूएई कैबिनेट ने देश में श्रमिकों के लिए मौजूदा एंड-ऑफ-सर्विस सिस्टम की जगह एंड-ऑफ-सर्विस ग्रेच्युटी के लिए एक नए वैकल्पिक सिस्टम को मंजूरी दी है.हालांकि यह कानून किस तारीख से लागू होगा, इसकी घोषणा नहीं की गई है.
यह फैसला 4 सितंबर को कैबिनेट बैठक में लिया गया और सरकार ने 11 नए संघीय कानूनों के साथ इसकी भी घोषणा की. इस बैठक की अध्यक्षता संयुक्त अरब अमीरात के उपराष्ट्रपति प्रधानमंत्री और दुबई के शासक महामहिम शेख मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम ने की थी. नई निवेश योजना से कर्मचारियों को कैसे लाभ होगा, इसके बारे में जोआना बेकर मैकेंजी यूएई के हेड मैथ्यूज-टेलर ने बताया कि अब जॉब खत्म होने पर कर्मचारी पुरानी व्यवस्था की तुलना में अधिक सेवा ग्रेच्युटी के साथ जा सकते हैं. यह निवेश फंड के ओवरऑल परफॉर्मेंस के अधीन है.”
यूएई सरकार के मीडिया कार्यालय के अनुसार, नियोक्ताओं के लिए इस प्रणाली में शामिल होना वैकल्पिक है. सेवा समाप्ति पर ग्रेच्युटी की नई प्रणाली निजी क्षेत्र और मुक्त क्षेत्र के कर्मचारियों के लिए होगी. इसमें मानव संसाधन मंत्रालय (एमओएचआरई) के समन्वय में सिक्योरिटीज एंड कमोडिटीज अथॉरिटी के देखभाल में निजी क्षेत्र के निवेश और बचत निधि की स्थापना शामिल है. सरकारी क्षेत्र के कर्मचारी भी बचत और निवेश उद्देश्यों के लिए इस सिस्टम को चुन सकते हैं.
वर्तमान सेवा समाप्ति योजना क्या है?
वर्तमान में किसी कंपनी में लगातार एक साल काम करने के बाद कर्मचारी एकमुश्त भुगतान के हकदार होते हैं. अमाउंट की गणना सर्विस के वर्षों की संख्या के आधार पर की जाती है.
इस वैकल्पिक योजना में भाग लेने वाली कंपनियों को मासिक योगदान देना होगा और सेवा के अंत में कर्मचारियों को उनकी ओर से की गई बचत और निवेश से रिटर्न प्राप्त होगा. यूएई सरकार के मीडिया कार्यालय के अनुसार, इन फंडों के माध्यम से कर्मचारी विभिन्न निवेश विकल्पों के अनुसार अपनी सेवा समाप्ति ग्रेच्युटी में निवेश और बचत कर सकते हैं. इसका उद्देश्य श्रमिकों की बचत की रक्षा करना है, जो सेवा के अंत में मिलने वाली ग्रेच्युटी का गठन करती है और यह सुनिश्चित करना है कि उनके अधिकारों की गारंटी हो.
सेवा समाप्ति राशि का निवेश कैसे किया जाएगा?
ऐसे तीन तरीके हैं जिनसे राशि का निवेश किया जा सकता है. पहला तरीका है जोखिम-मुक्त निवेश जो पूंजी को बनाए रखता है. दूसरा है जोखिम आधारित निवेश. इसके बाद आता है शरिया-मानने वाला निवेश.