लखनऊ : कोरोना से जीवन की अनिश्चितता का खौफ इस कदर है कि पिछले डेढ़ माह में वकील और लॉ फर्मों के पास वसीयत बनवाने वाले लोगों की भीड़ अचानक बढ़ गई है। इसमें 30 से 45 वर्ष के युवा प्रोफेशनल और व्यवसायी शामिल हैं, जो अपनी चल-अचल संपत्ति के वितरण के लिए वसीयत लिखवा रहे हैं। ताकि उनके न रहने पर परिवार में संपति को लेकर झगड़ा न हो तीस साल की इंटीरियर डिजाइनर हो या 32 साल के कॉरपोरेट एग्जीक्यूटिव या 40 साल के रेस्तरां मालिक हों या 45 साल के निवेशक सभी विल का ड्राफ्ट बनवाने वकीलों के पास पहुंच रहे हैं।
कोविड वैक्सीन की अनिश्चितता, लॉकडाउन और तीसरी लहर की आशंका ने लोगों के मन में चिंता पैदा कर दी है।
एक वकील ने बताया कि विल बनाने की मांग में जबरदस्त इजाफा हुआ है। पहले 55-60 साल के ऐसे लोग विल बनवाते थे, जो किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे। लेकिन, मौजूदा समय में भारी संख्या में स्वस्थ और नौजवान लोगों की ओर से विल बनवाने का आग्रह आ रहा है। शायद मौजूदा दौर में कोरोना के कारण जीवन की अनिश्चितता इसका कारण है। इसके अलावा पिछले माह सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया है, जिसमें अपनी कंपनी में लोन के लिए गारंटी देने वाले को दिवालिया कानून के तहत लाया गया है। इस फैसले के कारण भी लोग अपने दायित्वों को तय कर रहे हैं और वसीयत बनवा रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट के एक वकील ने बताया कि ज्यादातर विल म्युचुअल बन रही हैं, जिसमें पति या पत्नी एक दूसरे को अपनी सभी संपत्ति वसीयत कर रहे हैं। उसके बाद ऐसा बंदोबस्त कर रहे हैं कि यह अगली पीढ़ी को चली जाए। उन्होंने कहा कि घर में पति और पत्नी दोनों कमाने वाले होने की वजह से आय में बढ़ोतरी हो रही है, वहीं युवा प्रोफेशनल जब तक 40 की उम्र में पहुंचते हैं तो वे प्रॉपर्टी और शेयर में काफी पैसा बना चुके होते हैं। इस संपत्ति को सुरक्षित करने की चाह ही विल बनवाने पर जोर दे रही है।
विल को रजिस्टर करवाना आसान है। इसमें दो गवाहों के हस्ताक्षर चाहिए, जो परिवार के सदस्य हो सकते हैं, लेकिन वे विल के लाभान्वितों में से न हों। लेकिन, उनका विल बनाने वाले के दस्तखत करते समय हाजिर होना जरूरी है। वसीयत भारतीय उत्तराधिकार कानून, 1925 की धारा 59 के तहत बनाई जाती है, जो स्वयं अर्जित संपत्ति पर ही लागू है। पैतृक संपत्ति की विल नहीं बनाई जा सकती। बनाने वाला विल को कभी भी बदल सकता है।