काबुल, अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी देश छोड़कर जा चुके हैं. वहां के टोलो न्यूज़ ने यह खबर दी है. सूत्रों के मुताबिक, अशरफ गानी अपनी कोर टीम के सदस्यों के साथ तजाकिस्तान भाग गए हैं. अफगानिस्तान के अधिकतर इलाकों पर अब कट्टपंथी संगठन तालिबान का कब्जा हो चुका है. वह काबुल के बाहरी इलाकों में भी रविवार को घुस आए।
इस बीच एक तरफ जहां तालिबान को सत्ता हस्तांतरण पर चर्चा चल रही है, तो वहीं दूसरी तरफ उसे चेतावनी भी दी जा रही है.
टोलो न्यूज़ के मुताबिक, अफगानिस्तान के आंतरिक मंत्रालय ने कहा कि तालिबान की तरफ से इस बयान के देने के बाद कि वह काबुल में नहीं घुस रहे हैं, इसके बाद काबुल के कई जिलों में स्पेशल पुलिस यूनिट्स की तैनाती की गई है ताकि ‘अवसरवादियों’ से रक्षा की जा सके. इसके साथ ही पुलिस को फायरिंग के आदेश दिए गए हैं।
इधर, अफगानिस्तान के उपराष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह ने कहा कि वह तालिबान के साथ नहीं रह सकते हैं. उन्होंने कहा- मैं तालिबान के आगे कभी नहीं झुकेंगे. मैं लाखों लोगों को निराश नहीं करूंगा. लाखों लोगों ने मुझ पर भरोसा किया है. दूसरी तरफ, अफगानिस्तान के पूर्व राष्ट्रपतित हामिद करजई ने लोगों से अपील की है कि वह अपने घरों में ही रहें. उन्होंने कहा कि बातचीत से हल निकालने की कोशिश की जा रही है।
इससे पहले राजधानी काबुल के बाहरी इलाकों में प्रवेश से पूर्व रविवार सुबह चरमपंथी संगठन ने जलालाबाद पर कब्जा कर लिया था. इसके कुछ घंटे बाद रविवार को अमेरिका के बोइंग सीएच-47 हेलीकॉप्टर यहां अमेरिकी दूतावास पर उतरे. काबुल के अलावा जलालाबाद ही ऐसा इकलौता प्रमुख शहर था जो तालिबान के कब्जे से बचा हुआ था. यह पाकिस्तान से लगती एक प्रमुख सीमा के निकट स्थित है. अब अफगानिस्तान की केंद्रीय सरकार के अधिकार में देश की 34 प्रांतीय राजधानियों में से काबुल के अलावा छह अन्य प्रांतीय राजधानी ही बची हैं।
अमेरिकी दूतावास के निकट राजनयिकों के बख्तरबंद एसयूवी वाहन निकलते दिखे और इनके साथ ही विमानों की लगातार आवाजाही भी देखी गई. हालांकि अमेरिका सरकार ने अभी इस बारे में तत्काल कोई जानकारी नहीं दी है. दूतावास की छत के निकट धुआं उठता देखा गया जिसकी वजह अमेरिका के दो सैन्य अधिकारियों के मुताबिक राजनयिकों द्वारा संवेदनशील दस्तावेजों को जलाना है।
अमेरिकी दूतावास के निकट सिकोरस्की यूएस-60 ब्लैक हॉक हेलीकॉप्टर भी उतरे. इन हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल आमतौर पर सशस्त्र सैनिकों को लाने-ले जाने के लिए किया जाता है. चेक गणराज्य ने भी अपने दूतावास से अफगान कर्मियों को निकालने की योजना को मंजूरी दे दी है. इससे पहले उसने अपने राजनयिकों को काबुल अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा पहुंचा दिया।