मनमानी पर उतरी असम की हिमंत सरकार, सुप्रीम कोर्ट ने दिया अवमानना का नोटिस, सुप्रीम आदेश के खिलाफ किया था बुलडोजर एक्शन

नई दिल्ली सुप्रीम कोर्ट सोमवार 30 सितंबर को फैसला सुनाते हुए असम सरकार के सोनापुर में बुलडोजर एक्शन पर रोक लगा दी है. साथ ही कोर्ट ने हिमंत बिस्वा सरमा सरकार पर के मामले में अवमानना नोटिस जारी किया है.

साथ ही शीर्ष कोर्ट ने सरकार से 3 हफ्तों में जवाब मांगा है. शीर्ष कोर्ट उन 47 लोगों की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिनके खिलाफ सरकार बुलडोजर एक्शन लाने वाली थी. दरअसल, कोर्ट ने पहले ही 1 अक्टूबर तक देशभर में बुलडोजर एक्शन रोक लगाई थी. लेकिन, याचिकाकार्ताओं ने आरोप लगाया कि सरकार कोर्ट की अवमानना करते हुए उनके खिलाफ एक्शन कर रही है. कोर्ट ने फिलहाल सरकार की एक्शन पर रोक लगा दी है.

इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ सुनवाई कर रही थी. दायर याचिका में कहा गया है कि- हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने पूरे देश भर में बुलडोजर कार्रवाई पर रोक लगाने के आदेश दिए थे. लेकिन इसके बावजूद असम के सोनापुर में बुलडोजर कार्रवाई जारी थी.

यह मामला असम के कामरूप जिले के कचुटोली पाथर गांव का है. इसके आसपास के इलाकों में असम सरकार ने 47 घरों पर बुलडोजर चलाने का आदेश दिया था. याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट में तर्क दिया कि वे मूल भूमिधारकों के साथ समझौतों के तहत दशकों से वहां रह रहे हैं. वे राज्य द्वारा उन्हें आदिवासी भूमि के ‘अवैध कब्जेदार’ के रूप में चिन्हित करने का विरोध करते हैं. उनका तर्क है कि उन्होंने किसी भी कानूनी प्रावधान का उल्लंघन नहीं किया है. मौजूदा समझौतों के तहत उनका कब्जा वैध है.

मौलिक अधिकारों का उल्लंघन
याचिका में आरोप लगाया गया है कि अधिकारियों ने कानूनी प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया है. इसमें निवासियों को खाली करने के लिए एक महीने की नोटिस न जारी कर बेदखली का आदोश दे दिया गया. इसके अलवा, यह तर्क दिया गया है कि निवासियों को निष्पक्ष सुनवाई के बिना ही उनके घरों और आजीविका से वंचित कर घरों को ध्वस्त कर दिया गया. यह संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 21 के तहत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है.

सुप्रीम कोर्ट के 17 सितंबर के आदेश में सार्वजनिक सड़कों, फुटपाथों, रेलवे लाइनों या जल निकायों पर अतिक्रमण से जुड़े मामलों को छोड़कर, बिना न्यायिक मंजूरी के पूरे देश में तोड़फोड़ पर रोक लगा दी गई थी. इसके बावजूद, असम के अधिकारियों ने कथित तौर पर बिना किसी नोटिस के याचिकाकर्ताओं के घरों को ध्वस्त करने के लिए चिह्नित किया, जिसके कारण अवमानना का नोटिस जारी किया गया.

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