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नई दिल्ली, राजनीतिक उथल-पुथल और हिंसा के बीच मणिपुर में सरकार बनाने और प्रशासन चलाने को लेकर असमंजस बना हुआ है। भाजपा के पूर्वोत्तर प्रभारी संबित पात्रा और मणिपुर प्रदेश अध्यक्ष ए शारदा देवी ने मंगलवार को राजभवन में राज्यपाल अजय कुमार भल्ला से मुलाकात की।
यह बैठक मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद राज्य में नेतृत्व संकट के बीच हुई है। पात्रा और देवी के साथ शिक्षा मंत्री टी बसंता कुमार सिंह, एनपीएफ के मणिपुर इकाई अध्यक्ष अवांगबोउ नेमाई और जेडीयू विधायक नसीर भी मौजूद थे।
सूत्रों के अनुसार, राज्यपाल के साथ यह बैठक करीब आधे घंटे तक चली, लेकिन इसके नतीजे के बारे में कोई आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है। राज्य भाजपा में बढ़ती नाराजगी और नेतृत्व परिवर्तन की मांग के बीच मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने रविवार को राज्यपाल अजय कुमार भल्ला को अपना इस्तीफा सौंप दिया था।
मणिपुर कांग्रेस के अध्यक्ष केशम मेघचंद्र ने मंगलवार को कहा कि राज्यपाल अजय कुमार भल्ला द्वारा 12वीं मणिपुर विधानसभा के सातवें सत्र को रद्द करने का आदेश “अवैध और असंवैधानिक” है। विपक्षी दलों ने राज्यपाल के निर्णय को चुनौती देते हुए लोकतांत्रिक प्रक्रिया बनाए रखने की मांग की है।
मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के 9 फरवरी को इस्तीफा देने के बाद राज्यपाल ने एक आदेश जारी किया था। जिसमें 24 जनवरी 2025 को विधानसभा सत्र बुलाने के अपने पहले के निर्देश को निरस्त और शून्य घोषित कर दिया था।
मेघचंद्र ने कहा कि मणिपुर के माननीय राज्यपाल द्वारा 9 फरवरी 2025 को जारी आदेश, जिसमें 24 जनवरी 2025 के आदेश को ‘शून्य और अमान्य’ घोषित किया गया, वह अवैध और असंवैधानिक है। आज मणिपुर विधानसभा की संवैधानिक रूप से अनिवार्य बैठक का अंतिम दिन है, फिर भी सत्र बुलाने की कोई पहल नहीं की गई है।
कांग्रेस नेता ने यह भी चेतावनी दी कि मणिपुर कुछ ही घंटों में संवैधानिक संकट का सामना करेगा। ऐसा लगता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी मणिपुर को निलंबित एनिमेशन (संसद निलंबन) या राष्ट्रपति शासन के अधीन रखना चाहते हैं। हम राष्ट्रपति शासन या विधानसभा निलंबन के किसी भी कदम का पुरजोर विरोध करेंगे।
इस बीच, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई), मणिपुर राज्य परिषद ने मंगलवार को कहा कि यदि एन बीरेन सिंह को दोबारा मुख्यमंत्री बनाया गया तो राज्य को और भी कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ेगा। पार्टी ने नए विधानसभा चुनाव कराने की मांग की है ताकि राज्य में एक नई प्रशासनिक व्यवस्था स्थापित की जा सके।
गौरतलब है कि मई 2023 से इम्फाल घाटी में बसे मैतेई और पहाड़ी क्षेत्रों में बसे कुकी-जो समुदायों के बीच जारी जातीय हिंसा में अब तक 250 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और हजारों लोग बेघर हो गए हैं।