लखनऊ, अय्यामे अज़ा के आखरी हफ्ते में मजलिसों का सिलसिला जारी है इसी सिलसिले में अय्यामे अज़ा की एक मजलिस ज़ैगम हुसैन के मकान पर मुबारक के हाते में मुनअकिद हुई मजलिस का आग़ाज़ तिलावते हदीसे किसा से हुआ जिसको सईद हसन ने अंजाम दिया। पेशख़्वानी के वा सोजखानी के फरायज को अली कबीर ज़ैदी ने अंजाम दिए।
मजलिस को खिताब करते हुए मौलाना मोहम्मद हसनैन बहिशती ने कहा कि बिस्मिल्लाह में कोई तकरार नहीं है। जब एक इंसान बिस्मिल्लाह मुख्तलिफ मुक़ाम पर कहता है तो उसके मुख्तलिफ माने होते हैं कोई तकरार नहीं होती है तो फिर अल्लाह ने कुरान में अलग-अलग जगह पर बिस्मिल्लाह का इस्तेमाल किया है उसमें भी कोई तकरार नहीं हो सकती मौलाना ने कहा की अल्लाह ने रसूल को दुनिया में इसलिए भेजा ताकि रसूल लोगों को अल्लाह के दीन की तरफ ले आएं और दीन की बातें बताकर उनको दीन की तरफ राग़िब करें।
मौलाना ने सूरह फतह की आयत नंबर 28 की तिलावत करके फतेह मक्का को तफसील से बयान किया। मौलाना ने कहा कि फतेह मक्का मुसलमानों की मेहनत अल्लाह पर भरोसा और कामिल यकीन का नतीजा था।
मौलाना ने हजरत रसूल ए ख़ुदा और हज़रत इमाम हसन अलैहिस्सलाम की शहादत के उनवान से मसायब बयान किया। यह सुनकर अजादारों की आँखे नम हो गई। हाय हसन हाय रसूल की आवाज में हर तरफ बुलंद थी।