दिल्ली , 12 दिन बाद भी रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट द्वारा जमीन खरीद में हुए भ्रष्टाचार और भाजपा नेताओं की चंदाचोरी के मामले में कोई कार्रवाई नहीं होने पर आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह ने प्रधानमंत्री से अपील की है कि वो भ्रष्ट हो चुके ट्रस्ट के सदस्यों से पूछें कि डेढ़ साल से मंदिर निर्माण आखिर क्यों रुका हुआ है? इसके लिए कोई और नहीं बल्कि बीजेपी वालों की चंदा चोरी जिम्मेदार है। मैंने संघ प्रमुख मोहन भागवत को पत्र लिखकर उनका समय मांगा है। उनके सामने भी मैं इस घोटाले के सारे प्रमाण रखूंगा। संजय सिंह शनिवार को एक पत्रकारवार्ता को संबोधित कर रहे थे।
सांसद ने कहा कि पिछले कई दिनों में, मैं कई साक्ष्य दे चुका हूँ कि किस तरीके से बीजेपी वालों ने प्रभु श्री राम के मंदिर के जमीन में घोटाला किया है और करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार भी किया है। पिछले डेढ़ साल से प्रभु राम का मंदिर अयोध्या में नहीं बन पा रहा है तो उसके लिए कोई और नहीं बल्कि बीजेपी वालों की चंदा चोरी जिम्मेदार है। भाजपा वालों की आस्था प्रभु श्री राम के मंदिर निर्माण में नहीं बल्कि चंदा चोरी में है।
संजय सिंह ने कहा की मैं प्रधानमंत्री से पूछना चाहता हूं कि 10 से 12 दिन हो गए इस घोटाले का खुलासा हुए, तो क्या आपने सवाल किया कि डेढ़ साल से प्रभु श्री राम के मंदिर निर्माण की नींव अभी तक क्यों नहीं पड़ पाए है? ट्रस्ट के सदस्यों की मिलीभगत से भाजपा वाले इतनी बड़ी मात्रा में चंदा चोरी कर सकें हैं और उसी चंदा चोरी के कारण प्रभु श्री राम के मंदिर का निर्माण पूरी तरह से रुक गया है। देश के करोड़ों हिंदुओं की आस्था को चोट पहुंचाने का काम भारतीय जनता पार्टी और ट्रस्ट के लोगों ने किया है। मन में एक सवाल उठता है आखिर इतने बड़े भ्रष्टाचार का पैसा गया कहाँ?
संजय सिंह ने कहा कि रवि मोहन तिवारी जो बीजेपी के मेयर का रिश्तेदार है, जिसने 18 मार्च को बीजेपी के मेयर और ट्रस्ट वालों के साथ मिल कर दो करोड़ की जमीन साढे़ 18 करोड़ रुपये में ट्रस्ट को बेची है उसीने 19 अप्रैल को 10 करोड़ रुपये की एक जमीन ली है। मजेदार बात यह है कि ट्रस्ट जब भी जमीन खरीदता है तो उसको मालियत से कई गुना महंगी जमीन मिलती है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी के लोग जब यह जमीन खरीदते हैं तो उनको हमेशा लागत से कम मूल्य पर जमीन मिल जाती है।
8 करोड़ 70 लाख रुपये की लागत की जो जमीन रवि मोहन तिवारी, ऋषिकेश उपाध्याय ने 19 अप्रैल को 10 करोड़ में खरीदी है उसमें आश्चर्य की बात यह है कि उनके पार्टनर सुल्तान अंसारी, हरीश पाठक और कुसुम पाठक हैं। यानी जिस हरीश पाठक और कुसुम पाठक के साथ मिलकर ये ट्रस्ट को 18.5 करोड़ रुपये में ज़मीन बेचता है उन्हीं हरीश पाठक और कुसुम पाठक, सुल्तान अंसारी के साथ मिलकर यह 10 करोड़ की जमीन खरीद रहा है। यह जमीन विवादित जमीन है इस पर बड़े-बड़े बोर्ड लगे हुए हैं और जब इन लोगों ने इस जमीन को खरीदा तो इनके खिलाफ थाने में एफआईआर दर्ज हो गई।
एक और 255 वर्ग मीटर जमीन विष्णु कुमार , जो बीजेपी मेयर का अकाउंट देखते हैं, उन्होंने हरीश पाठक के भाई अनिल से 15 मार्च को 10 लाख रुपये में खरीदी, जिसका गवाह बनाता है मेयर का भतीजा दीप नारायण उपाध्याय। यही जमीन ट्रस्ट को 3 दिन के बाद, 18 मार्च को 60 लाख रुपये में बेच दी जाती है और इसमें गवाह वही पुराने ऋषिकेश उपाध्याय और अनिल मिश्रा बनते हैं।
यानी कि जो जमीन विष्णु कुमार 15 मार्च को हरीश पाठक के भाई से 10 लाख रुपये में खरीदते हैं वही जमीन ट्रस्ट को 3 दिन के बाद 60 लाख में बेच दी जाती है। संजय सिंह ने सवाल उठाया कि क्या इस देश की सारी जांच एजेंसियां खत्म हो गई हैं? क्या इस देश के प्रधानमंत्री की संवेदनाएं पूरी तरह से समाप्त हो चुकी हैं? प्रभु श्री राम के मंदिर निर्माण में बीजेपी और ट्रस्ट के लोग मिलकर घोटाला कर रहे हैं और इतने सारे साक्ष्य होने के बाद भी कार्यवाही नहीं हो रही है।
उन्होंने कहा कि मैंने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत जी को चिट्ठी लिखकर मिलने का समय मांगा है, मैं बीजेपी नेताओं एवं ट्रस्ट के लोगों के जमीन घोटाले और भ्रष्टाचार से संबंधित सारे कागजात उन्हें भी देना चाहता हूँ। आरएसएस जो अपने आप को हिंदूवादी संगठन होने का दावा करता हैं, उसके प्रमुख इसका संज्ञान लें और इस विषय पर वे अपना पक्ष देश के सामने सार्वजनिक करें।
संजय सिंह ने कहा कि प्रभु श्री राम के नाम पर चंदा चोरी भाजपा से जुड़ा हुआ मसला है इसीलिए कोई कार्यवाही नहीं हो रही है अन्यथा इतने खुलासे के बाद तो देश की सबसे नकारा सरकार भी कार्यवाही कर देती।
ऑक्सीजन ऑडिट को लेकर उपजे विवाद पर संजय सिंह ने कहा कि जब देश में 3 लाख से ज़्यादा कोरोना के केस थे तो प्रधानमंत्री जी घूम-घूम बंगाल के अंदर रैली कर रहे थे जबकि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जी दिल्ली के 2 करोड़ लोगों के लिए सांसे मांग रहे थे। क्या यही उनका गुनाह है?