लखनऊ, शहर में डेंगू का प्रकोप लगातार बढ़ता ही जा रहा है। अब तक पूरे लखनऊ में 550 से अधिक डेंगू मरीज सामने आ चुके हैं। इसमें 25 फीसद से अधिक मरीज बच्चे हैं।
ज्यादातर अस्पतालों की ओपीडी डेंगू मरीजों से फुल हो गई है। मरीज शुरू में इसकी गंभीरता का अंदाजा नहीं लगा पा रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार 10 से 30 फीसद डेंगू मरीजों की हालत बाद में इस कदर गंभीर हो रही है कि वह डेंगू हैमरोजिक फीवर की स्थित में पहुंच रहे हैं। ऐसे मरीजों में रक्तस्राव के चलते प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत पड़ रही है।
लोकबंधु अस्पताल में परामर्शदाता व फिजीशियन डा. संजीव कुमार कहते हैं कि कुल आ रहे डेंगू मरीजों में करीब 15 से 20 फीसद मरीज ऐसे हैं, जिनमें शरीर के किसी न किसी हिस्से से रक्तस्राव देखने को मिल रहा है। ऐसे मरीजों को प्लेटलेट्स चढ़ाने की जरूरत पड़ रही है। यह डेंगू हेमोरेजिक फीवर की श्रेणी में आते हैं। इसमें रक्तस्राव या रिसाव होने से प्लेटलेट्स का स्तर कम हो जाता है। इससे रोगों से लड़ने वाली श्वेत रुधिर कणिकाओं की संख्या भी कम हो जाती है। यह शॉक सिंड्रोम भी है, जिसमें हाई ब्लड प्रेशर देखने को मिलता है। इससे मरीज को ब्रेन स्ट्रोक या पक्षाघात तक हो सकता है। कई बार मरीज मल्टी आर्गन फेल्योर की स्थिति में भी जा सकता है।
सिविल अस्पताल के निदेशक कहते हैं कि 100 में से 15-20 मरीजों में हल्की व मध्यम ब्लीडिंग देखने को मिल रही है। मगर राहत की बात यह है कि प्लेटलेट्स चढ़ाने पर मरीजों की हालत सुधर रही है। किसी मरीज की जान नहीं जा रही है। ज्यादातर मरीज ठीक होकर जा रहे हैं। बलरामपुर अस्पताल के डाक्टोरं के अनुसार यहां भी अब तक करीब 15 फीसद मरीजों में ब्लीडिंग का मामला सामने आ चुका है। बलरामपुर अस्पताल के डा. कहते हैं कि डेंगू से बचना ही बेहतर उपाय है। लोग आसपास जलभराव न होने दें। पानी जमा हो तो उसमें केरोसिन या जला तेल डालें। बुखार होने पर जांच करा कर दवाएं लें।