नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्यों को स्कूल खोलने का आदेश देने से इनकार कर दिया और याचिका को खारिज कर दिया।
ये याचिका दिल्ली के ही एक स्टूडेंट ने लगाई थी, जिसमें मांग की गई थी कि सुप्रीम कोर्ट राज्यों को स्कूल खोलने का आदेश दे और फिजिकल क्लास शुरू की जाएं, लेकिन जस्टि डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा कि हम राज्यों को फिजिकली पढ़ाई शुरू करने के लिए स्कूलों को खोलने का आदेश नहीं दे सकते। अदालत ने कहा कि ये कोई ऐसा मामला नहीं है, जिसमें न्यायिक निर्देश जारी किए जाएं।
सर्वोच्च न्यायालय ने याचिका को खारिज करते हुए बच्चे को भी फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि बच्चे अपनी पढ़ाई पर ध्यान लगाएं ना कि याचिका पर। बेंच ने कहा कि देश के अंदर कोरोना की स्थिति अभी भी ठीक नहीं है, इसलिए हम स्कूलों को खोलने का आदेश नहीं दे सकते। कोर्ट ने कहा कि केरल और महाराष्ट्र में जो स्थिति है, क्या उसमें स्कूलों को खोला जा सकता है? कोर्ट ने साथ ही ये कहा कि स्कूलों को खोलने का फैसला राज्य सरकारों के हाथ में है और वो ही सही समय पर सही फैसला लेंगी।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश से पहले एम्स के डायरेक्टर रणदीप गुलेरिया ने इंडिया टीवी के साथ बातचीत में कहा था कि जिन राज्यों कोरोना पॉजिटिविटि रेट कम है, वहां स्कूलों को खोलने पर विचार किया जा सकता है लेकिन वहां भी लापरवाही बरतना महंगा साबित हो सकता है। पिछले कुछ दिनों में ये देखा गया है कि कई राज्यों में स्कूल खोले गए और फिर छात्र और टीचर कोरोना का शिकार हो गए हैं। ऐसे में इस वक्त स्कूलों को खोलने का फैसला लेना काफी रिस्की है।
रणदीप गुलेरिया ने कहा कि स्कूलों को खोलना इसलिए रिस्की है, क्यों बच्चों को वैक्सीन नहीं लगी है। ऐसे में हमें तब तक स्कूलों को खोलने का इंतजार करना चाहिए, जब तक कि बच्चों का टीका नहीं आ जाता।