पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी होंगे शामिल तालिबानी सरकार में, देश लौटने की तैयारी

काबुल, अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा होने के बाद देश छोड़कर भागने वाले पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी एक बार फिर वापस लौट रहे हैं।

सूत्रों के हवाले से ऐसी जानकारी सामने आई है कि वह तालिबान की नई सरकार में शामिल हो सकते हैं. तालिबान ने 15 अगस्त वाले दिन काबुल में प्रवेश कर देश पर नियंत्रण हासिल कर लिया था. जिसके बाद अफगानिस्तान की सरकार गिर गई और वरिष्ठ अधिकारी शांति से सत्ता हस्तांतरण के लिए राजी हो गए।

इसी दिन खबर आई कि अशरफ गनी ने देश छोड़ दिया है. वह निजी विमान से पहले ताजिकिस्तान गए, जहां उनके विमान को उतरने की अनुमति नहीं मिली. फिर वह ओमान गए और आखिर में संयुक्त अरब अमीरात पहुंचे. यूएई ने मानवीय तौर पर उन्हें (गनी) और उनके परिवार को रहने की अनुमति दी. गनी के देश छोड़ने से बहुत से नेता और आम जनता नाराज है. इनका कहना है कि वह मुश्किल वक्त में देश का साथ देने की बजाय यहां से भाग गए. लेकिन अशरफ गनी ने सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट करते हुए इसपर सफाई दी।

पूर्व अफगान राष्ट्रपति देश छोड़ने के बाद 18 अगस्त को पहली बार दुनिया के सामने आए. उन्होंने वीडियो संदेश जारी करते हुए कहा कि खून-खराबा रोकने के लिए उन्हें ऐसा करना पड़ा. उनपर पैसे लेकर भागने के आरोप भी लगे थे, जिसे उन्होंने खारिज कर दिया. इसफर सफाई देते हुए गनी ने कहा कि ये आरोप बेबुनियाद हैं. वह कुछ लेकर नहीं भागे और शांति से सत्ता सौंपना चाहते थे. उन्होंने बताया कि वह इसलिए देश छोड़कर आए ताकि आम जनता को खूनी जंग से बचा सकें और वह सुरक्षा कारणों की वजह से देश से दूर हैं।

अशरफ गनी के भाई हशमत गनी ने तालिबान से हाथ मिला लिया है. पेशे से बिजनेसमैन हशमत ने दुनिया को सलाह देते हुए कहा कि उसे भी तालिबान को स्वीकार कर लेना चाहिए. हशमत गनी ने बताया कि उन्होंने तालिबान को स्वीकार किया है लेकिन वह उसका समर्थन नहीं करते एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने कहा कि भारत के पास तालिबान के साथ राजनीतिक संबंध बनाने के अलावा दूसरा विकल्प नहीं है. इसके साथ ही हशमत ने उपराष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह को ‘बेवकूफ’ कहा, जो खुद को कार्यवाहक राष्ट्रपति घोषित कर चुके हैं और इस समय पंजशीर में तालिबान का मुकाबला करने के लिए नॉर्दर्न अलायंस का साथ दे रहे हैं।

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