नई दिल्ली, एक स्पेशल पॉक्सो कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा है कि नाबालिग का एक बार हाथ पकड़ना और अपने प्यार का इजहार करना यौन उत्पीड़न की श्रेणी में नहीं आता. ये फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने 28 साल के एक व्यक्ति को बरी कर दिया. व्यक्ति पर साल 2017 में एक 17 साल की लड़की को प्रपोज करने का आरोप है।
अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि ये दिखाने के कोई सबूत नहीं है कि आरोपी का कोई सेक्सुअल इंटेंशन था. इसी के साथ इस बात का भी कोई सबूत नहीं है कि उसने नाबालिग का लगातार पीछा किया या किसी सुनसान जगह पर उसे प्रताड़ित किया था. अदालत ने कहा कि इस बात का भी कोई पुख्त सबूत नहीं है कि आरोपी ने नाबालिग को परेशान करने के लिए आपराधिक बल का इस्तेमाल किया है.।
कोर्ट ने आदेश में कहा कि रिकॉर्ड पर मौजूद सबूतों पर विचार करते हुआ पाया गया है कि अभियोजन पक्ष संदेह के अलावा सबूत पेश करने में सक्षम नहीं है कि आरोपी ने कोई गलत काम किया है. इसलिए आरोपी को संदेह का लाभ पाने और बाद में बरी होने का हकदार है।