प्रधानमंत्री आवास योजना के नाम पर हरे-भरे खेतों और जंगल का सफाया।
लखनऊ, प्रधानमंत्री आवास योजना के नाम पर हरिहरपुर गाँव के सैकड़ों स्थाई निवासियों को बेघर करने का काम उत्तर प्रदेश आवास एवं विकास परिषद के संरक्षण में चल रहा है। आवास परिषद की जेसीबी मशीनों ने ग्रामीणों के खेतों और निकटवर्ती वन क्षेत्र के विशालकाय जीवित वृक्षों को भी नहीं छोड़ा है।
रायबरेली रोड स्थित बिजनौर थाना क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाले हरिहरपुर के निवासी उत्तर प्रदेश सरकार की इस अन्यायपूर्ण कार्यवाही करने के लिए बहुत बड़ी संख्या में परिषद के तेलीबाग स्थित कार्यालय पर जमा हो गए और प्रशासन के विरुद्ध नारेबाजी करते देखें गए। मौके पर पहुंचे पत्रकारों को जानकारी देते हुए ग्रामीणों ने बताया कि प्रधानमंत्री आवास योजना के नाम पर भूमाफियाओं को आगे बढ़ाने का काम किया जा रहा है।मौके पर स्थानीय पुलिस बल के आलावा किसी प्राइवेट सिक्योरिटी कम्पनी के वर्दीधारी गार्ड ग्रामीणों के इस आरोप को सही प्रमाणित कर रहे थे।
कई ग्रामीणों ने कहा कि गरीबों को आवास देने के नाम पर हमारे परिवारों को बेघर किया जा रहा है।स्थानीय ग्रामीणों ने जानकारी दी कि पिछले दिनों आई सरकारी नोटिस के जवाब में उन्होंने अपनी आपत्ति परिषद के कार्यालय और स्थानीय राजस्व अधिकारियों के पास दर्ज कराई थी जिस पर उन्हें आश्वासन भी प्राप्त हुआ था।लेकिन अब आचानक पूरे गाँव को घेर कर प्रशासन जेसीबी मशीनों से खेतों और पेड़ो को गिराने में जुटा है और कहा जा रहा है कि अपने परिवार को हटा लो क्योंकि इसके बाद तुम्हारे मकानों का नम्बर आने वाला है।
शनिवार को हरिहरपुर गांव में जारी इस सरकारी अन्यायपूर्ण कार्यवाही की जानकारी स्थानीय समाजवादी पार्टी नेता ने राजधानी के पत्रकारों को दी थी।मौके पर पूरे मामले की लाइव कवरेज होते देख मौके पर मौजूद पुलिस कर्मियों तथा परिषद के अधिकारियों के तेवर कुछ ढीले पड़े तब जाकर वे ग्रामीणों की बात सुनने के लिए तैयार हुए।समाचार लिखे जाने तक जेसीबी मशीनें, स्थानीय पुलिस कर्मी और प्राइवेट सिक्योरिटी गार्ड हरिहरपुर ग्राम क्षेत्र में ही बने हुए है जिससे यहां रहने वाले हजारों लोगों के परिवारों के बेघर होने और मकानों को तोड़े जाने का खतरा बना हुआ है।
परिषद कार्यालय में मौजूद अधीक्षण अभियंता इंजीनियर डी.के.श्रीवास्तव ने पूरे मामले पर सफाई देते हुए पत्रकारों को बताया कि आवास विकास परिषद पूरे वैद्य तरीके से कार्यवाही कर रही है और इन ग्रामीणों को उनकी जमीनो का मुआवजा भी दिया जाएगा लेकिन ग्रामीण अपनी जमीनों और मकानों पर आवास विकास परिषद की इस कार्रवाई को सरकारी इशारे पर चलने वाला भूमाफिया षंणयत्र बता रहे हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि एक तरफ बंजर पड़ी ज़मीनो को उपजाऊ बनाने के लिए सरकार करोडों रूपये खर्च कर रही है और हमारे खेतों और जंगल को उजाड़ने का कारोबार चल रहा है। सरकार को यदि गरीबों के लिए मकान बनवाने ही है तो उन बंजर पड़ी ज़मीनों पर सरकारी काॅलोनी क्यों नहीं बनाते।