लखनऊ , पुराने लखनऊ के ठाकुरगंज थाना क्षेत्र मे स्थित ऐतिहासिक घण्टा घर के तालाब ने आज फिर एक मां की गोद उजाड़ दी। मोहल्ले से घण्टा घर घूमने आए बच्चो की टोली मे शामिल पाॅच साल के मासूम की घण्टा घर के तालाब मे डूबने से मौत हो गई । घण्टा घर के तालाब मे डूबे बच्चे को पुलिस ने महज़ 5 मिनट के अन्दर तालाब से निकलवा कर ट्रामा सेन्टर पहुॅचाया लेकिन मासूम की जान नही बच सकी। तालाब मे डूब कर मौत के मुंह मे समाए मासूम बच्चे के घर और मोहल्ले मे जब उसकी मौत की खबर पहुॅची तो वहंा कोहराम मच गया। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है।
जानकारी के अनुसार ठाकुरगंज थाना क्षेत्र के हुसैनाबाद मे टायर के पंचर बनाने की दुकान चलाने वाले मुम्ताज़ मोहम्मद अपनी पत्नी ज़ोया तीन बेटों बिलाल, अरहान और नेहाल के साथ ठाकुरगंज थाना क्षेत्र के शिवपुरी मुरूक खाना मोहल्ले मे रहते है। मुमताज़ के दो बेटे बिलाल और नेहल गुरूवार की दोपहर अपने मोहल्ले के अन्य बच्चो के साथ घर से करीब एक किलो मीटर की दूरी पर बने ऐतिहासिक घण्टा घर के पास मौज मस्ती करने आए थे। घण्टा घर के तालाब के आसपास सभी बच्चे मौज मस्ती कर रहे थे तभी 5 साल का मासूम नेहाल खेलते खेलते तालाब की सीढ़िया उतर गया नेहाल का पैर फिसला और वो तालाब के गहरे पानी मे डूब गया । नेहाल के तालाब मे गिरते ही वहा चीख पुकार मच गई शोर सुन कर करीब मे ही बनी सतखण्डा पुलिस चाौकी मे बैठे चाौकी इन्चार्ज संजीव चाौधरी मौके पर पहुॅचे और तालाब मे गिरे नेहाल को लोगो की मदद से बाहर निकलवाया । तालाब से निकाले गए नेहाल की सांसे चल रही थी
पुलिस के द्वारा बच्चे को तत्काल ट्रामा सेन्टर पहुॅचाया गया लेकिन पेट मे अत्याधिक पानी भर जाने की वजह से मासूम नेहाल की सांसो ने जवाब दे दिया और उसको डाॅक्टरो ने मृत घोषित कर दिया। भाई और दोस्तो संग घण्टा घर पार्क की सैर करने गए मासूम नेहाल की मौत की खबर जब उसके घर और मोहल्ले पहुॅची तो वहां कोहराम मच गया। मासूम नेहाल की मंा अपने लाडले बेटे नेहाल की मौत की खबर सुन कर ग़श खा कर गिर गई । पुलिस ने बच्चे के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। हालाकि इस दुर्घना के बाद कल की तरह ही पुलिस ने मौके पर पहुॅचने मे न तो देर लगाई और न ही तालाब मे डूबे बच्चे की जान बचाने के लिए कोई कोर कसर छोड़ी लेकिन बच्चे की जान नही बच पाई । आपको बता दे कि कल ही गऊघाट के पास गोमती नदी मे इज़हार नाम का युवक डूबा था उसे भी पुलिस ने सिर्फ पाॅच मिनट के अन्दर नदी से निकलवा कर अस्पताल 15 मिनट के अन्दर पहुॅचा दिया था लेकिन युवक की ज़िन्दगी बचाने की पुलिस की सभी कोशिशे फेल हो गई थी ठीक उसी तरह से आज भी उपनिरीक्षक संजीव चाौधरी की जददोजेहद नाकाम हुई और पुलिस की कोशिश नाकाम हो गई। मासूम मौत के मुंह मे समा ही गया।
घण्टा घर के आसपास रहता है पुलिस का सख्त पहरा फिर भी होती है दुर्घटनाएं
जनवरी 2020 में सीएए, एनआरसी के विरोध के जब ऐतिहासिक घण्टा घर के मैदान में महिलाओ ने 2 महीनो से ज़्यादा तक विरोध प्रदर्शन किया था तब से लेकर आज तक घण्टा घर के आसपास पुलिस की डियूटी लगी है। घण्टा घर की निगरानी मे आज भी पुलिस के जवानो के टेन्ट घण्टा घर के मैदान मे लगे हुए है यहं डियूटी पर मुस्तैद पुलिस कर्मी किसी को भी घण्टा घर के करीब जाने से रोक देते है लेकिन हैरत की बात ये है कि घण्टा घर के बिलकुल बराबर मे बने तालाब के आसपास टहलने वाले लोगो से पुलिस टोका टाकी बिलकुल नही करती है । घण्टा घर के तालाब मे डूबने से निहाल की पहली मौत नही हुई है इससे पहले कई लोगो की तालाब मे डूब कर मौते हो चुकी है ।
यहा सवाल ये उठता है कि जो पुलिस कर्मी लोगो घण्टा घर के पास जाने से रोकने के लिए मुस्तैद रहते है उन पुलिस कर्मियो की निगाह से बच कर लोग तालाब के गहरे पानी तक कैसे पहुॅच जाते है क्यूकि घण्टा घर के आसपास डियूटी पर लगाए गए पुलिस कर्मियो के ज़िम्मे सिर्फ छोटे से इलाके की निगरानी की ज़िम्मेदारी है और घण्टा घर का तालाब भी इसी तरिधि मे ही आता है अभी कुछ दिन पहले ही एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमे एक युवक साईकिल पर सवार होकर तालाब की सीढ़िया उतरते देखा गया था तालाब की सीढ़ियों पर स्टंट करने वाले युवक पर यहां मुस्तैद किसी भी पुलिस कर्मी की निगाह नही पड़ी थी । हालाकि तालाब और घण्टा घर से सत खण्डा पुलिस चैकी की दूरी भी कुछ मीटरो मे ही नापी जा सकी है लेकिन सतखण्डा पुलिस की डियूटी का कार्य क्षेत्र काफी बड़ा है और ऐसे हालात में सतखण्डा चाौकी की पुलिस की लापरवाही कहना पूरी तरह से गलत होगा ज़िम्मेदारी उन पुलिस कर्मियो की भी होनी चाहिए जिन्हे सिर्फ घण्टा घर के आसपास की निगरानी के लिए मुस्तैद किया गया है।