जन वितरण प्रणाली के तहत उपभोक्ताओं को मिला मिलावटी चावल, प्लास्टिक की तरह दिखता और चिपकता है

रांची, झारखंड के लोहरदगा में जन वितरण प्रणाली के उपभोक्ताओं को मिलावटी चावल मिला है. 10 किलो की मात्रा में करीब एक किलोग्राम चावल जैसी दिखने वाली चीज मिली हुई है जो प्लास्टिक की तरह लगती है. यह मिलावटी चावल पकता नहीं है बल्कि दुर्गंध देता है और चिपकता भी है.

कोरोना काल में गरीबों को मुफ्त सरकारी अनाज देने की सरकारी योजना में यह बड़ा गड़बड़झाला सामने आया है. सरकारी राशन वितरण व्यवस्था पर कई सवाल उठ रहे हैं. सूबे के खाद्य आपूर्ति और उपभोक्ता मामलों के मंत्री सह स्थानीय विधायक रामेश्वर उरांव ने इस मामले की जांच कराने की बात कही है.

लोहरदगा कुडू के बड़कीचांपी पंचायत में संचालित सरकारी राशन दुकान से लाभुकों ने चावल में प्लास्टिक का चावल मिले होने की आशंका जताई है।

चावल का उठाव करने वाले कई कार्डधारियों ने डीलर धर्मदेव भगत से शिकायत भी की है कि उन्हें जो चावल मिला है, उसमें प्लास्टिक का चावल भी मिला हुआ है.

लाभार्थियों का कहना है कि उन्हें जो चावल दिया गया है, उसमें प्लास्टिक का चावल मिला हुआ है।

उन्होंने चावल घंटों पानी में डुबाकर परीक्षण किया, लेकिन मिलावटी चावल के दानों में चिपचिपाहट हो रही है. एक अलग तरह की बदबू आ रही है. उन लोगों ने चावल में से निकले प्लास्टिक के चावल की तस्वीर भी डीलर को भेज प्लास्टिक का होने का दावा किया है।

लाभार्थियों का कहना है कि कोरोना काल में गरीबों को मुफ्त में अनाज देने की सरकारी योजना पर मिलावटी अनाज ने ग्रहण लगा दिया है. इस चावल को खाकर लोग बीमार पड़ सकते हैं।

हालांकि शुरुआत में ही मामला पकड़ में आ जाने के कारण किसी ने यह चावल पकाकर नहीं खाया. लेकिन राशन दुकान से जिस चावल का वितरण हुआ है उसके पैकेट पर सचदेव फूड प्रोडक्ट और रावाभाटा छत्तीसगढ़ का पता लिखा हुआ है।

डीलर ने बताया कि लाभार्थियों ने उठाव किए गए चावल की फोटो भेजकर प्लास्टिक का चावल मिक्स होने की शंका जताई है. उन्होंने मामले की जानकारी कुडू बीडीओ और गोदाम मैनेजर को दी है. अधिकारियों के कहने पर बाकी चावल का वितरण रोक दिया है।

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