नकली दवा का कारोबार करने वालों का भंडाफोड़

कानपुर, उत्तर प्रदेश के कानपुर पुलिस ने लोगों की जान से खिलवाड़ कर नकली दवा का काला कारोबार करने वालों का भंडाफोड़ किया है. इनके पास भारी मात्रा में नकली नशीली दवाओं को बरामद किया है. गैंग के तार राजधानी लखनऊ, गोरखपुर वाराणसी और बहराइच समेत कई जनपदों से जुड़े हुए हैं. दवाओं का काला कारोबार कर रहे लोग दवा के नाम पर खड़िया और इंजेक्शन के नाम पर डिस्टल वॉटर बेचने का काम कर रहे थे.

कानपुर क्राइम ब्रांच ने गुड्डू और मुन्ना नाम के दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है. जिनके पास से भारी मात्रा में नाइट्रावेट और जिफी की 200 की गोलियां बरामद हुई है. पुलिस ने जब जांच के दायरे को बढ़ाया तो जो खुलासा हुआ।

लखनऊ स्थित गोदाम से बड़े पैमाने पर प्रदेश के जिलों में नकली दवाओं और इंजेक्शन की सप्लाई की जा रही थी. पुलिस की एक टीम ने लखनऊ के अमीनाबाद स्थित गोदाम में छापा मार कर भारी मात्रा में नकली दवाइयां बरामद की है. पुलिस की जांच में इस बात का खुलासा हुआ कि यह गोदाम लखनऊ के रहने वाले मनीष का है जो पूरे प्रदेश में नकली दवाओं की सप्लाई कर रहा था. नकली दवाएं खड़िया से बनायी जा रही है वहीं इंजेक्शन में डिजिटल वाटर का इस्तेमाल किया जा रहा है. यह लोग ऐसी नकली दवाओं की बिक्री करते हैं जिनकी मार्केट में मांग ज्यादा रहती है।

नकली दवाओं के इस कारोबार में शामिल शातिर दवाओं को लखनऊ से विभिन्न जिलों में भेजने के लिए रोडवेज की बस का प्रयोग करते थे. बस में पैकेट बना कर ड्राइवर कंडक्टर को डिलीवरी पहुंचाने के लिए खर्चा दिया जाता था. वहीं जिस व्यक्ति को डिलीवरी लेनी होती थी उसे बस की नंबर प्लेट का फोटो खींच कर भेज दिया जाता था. शातिर पुलिस से बचने के लिए कोड वर्ड का इस्तेमाल करते थे. यह लोग दवाओं के लिए पारले जी, कैडबरी जैसे नाम का इस्तेमाल करते थे. पुलिस के अधिकारी जल्द ही पूरे इस रैकेट से जुड़े अन्य लोगों की गिरफ्तारी करने का दावा कर रहे हैं।

वहीं जानकारों का कहना है कि महत्वपूर्ण दवाओं के सही समय से नहीं मिलने पर मरीज की हालत बिगड़ सकती है. खड़िया यदि खाई जाएगी तो यह किडनी गाल ब्लैडर में जम जाती है. जो पथरी बनने का कारण बन सकती है. वहीं डिजिटल वॉटर के इंजेक्शन से सीधे तो कोई नुक्सान नहीं होता है लेकिन इंजेक्शन का सॉल्ट नहीं मिलने की वजह से मरीज की हालत बिगड़ सकती है.

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