नई दिल्ली, राहुल गांधी के आलंद में ‘वोट चोरी’ के आरोप के बाद चुनाव आयोग ने नामांकन सूची से नाम वापस लेकर जाने को लेकर बड़ा कदम उठाया है। आयोग ने ऑनलाइन मतदाता सूची के लिए आधार लिंक्ड फोन नंबर अनिवार्य कर दिया है।
तो सवाल उठ रहे हैं कि राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर आरोप लगाया था कि जब उन्होंने कहा था कि उनका सिस्टम कॉम्प्लेक्स है और किसी का नाम नहीं हटाया जा सकता है तो फिर यह ताजा बदलाव क्यों किया गया? इस सवाल का जवाब राहुल गांधी की प्रतिक्रिया में पाया जा सकता है।
विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा, ‘ज्ञानेश जी, हमने चोरी पकड़ी तब आपको ताला लगाना याद आया – अब तलवार को भी पकड़ लेंगे। तो बताओ, CID को सबूत कब दे रहे हैं आप?’ राहुल गांधी ने यह टिप्पणी तब की है जब चुनाव आयोग ने मतदाता सूची से नाम हटाने की प्रक्रिया में नामांकन और सुरक्षा बढ़ाने के लिए एक नया नियम लागू किया है। यह नियम तब लागू किया गया जब राहुल गांधी ने कर्नाटक की आलंद सीट पर कथित वोट चोरी का भंडार बनाया था।
आलंद में ‘वोट चोरी’ का मामला
राहुल गांधी ने 18 सितंबर को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कर्नाटक के आलंद क्षेत्र में 6018 मतदाताओं के नाम हटाने की कोशिश का खुलासा किया। उन्होंने दावा किया कि यह बड़े पैमाने पर सुनियोजित तरीके से किया गया है, जिसमें कर्नाटक के बाहरी मोबाइल नंबरों का उपयोग करके ऑनलाइन फॉर्म 7 के विजेता मतदाताओं के नाम जारी किए गए हैं। राहुल ने इसे लोकतंत्र की हत्या करार देते हुए कहा कि दलितों, अल्पसंख्यकों और अल्पसंख्यकों को विशेष रूप से विभाजित किया गया है।
उन्होंने कहा कि एक कलाकार सूर्यकांत के नाम पर 12 अन्य लोगों के वोट हटाने की कोशिश की गई थी, उनकी जानकारी के बिना। एक अन्य उदाहरण में गोदाबाई नाम के 12 लोगों के वोट निकालने का आवेदन किया गया था, जबकि उन्हें इसकी कोई जानकारी नहीं थी।
चुनाव आयोग का जवाब
राहुल गांधी के निर्देश का जवाब देते हुए कहा गया, चुनाव आयोग ने आधारहीन और गलत ठहराया। आयोग ने साफ किया कि कोई भी आम नागरिक ऑनलाइन वोटर लिस्ट से नाम नहीं हटा सकता और नाम हटाने से पहले संबंधित व्यक्ति को अपनी बात रखने का पूरा मौका दिया जाता है। आयोग ने यह भी बताया कि 2023 में आलंद में वोटर डिलीशन के कर्मचारियों के लिए एफआईआर दर्ज की गई थी और कलबुर्गी पुलिस की जांच की गई थी।
नियमों में बदलाव के लिए अब नियम क्यों?
राहुल के इन आरोपों के बाद चुनाव आयोग ने एक ‘नया-साइन’ प्रोजेक्ट लॉन्च किया है। इसके तहत अब वोटर लिस्ट से नाम हटाना (फॉर्म 7), नई भर्ती (फॉर्म 6), या सुधार (फॉर्म 8) के लिए आवेदन करने वाले को आधार से जुड़े मोबाइल नंबर के जरिए अपनी पहचान कायम करनी होगी। इस प्रक्रिया में कॉकपिट को ईसीआई पोर्टल पर आधार नंबर दर्ज करना होगा और ओटीपी आवेदन के बाद ही आवेदन स्वीकार करना होगा। आयोग का कहना है कि यह कदम अलंड और अलंड जैसे मामलों में धार्मिक पहचान के भेदभाव को रोकने के लिए उठाया गया है।
कई राज्यों में वोट चोरी का मॉडल: राहुल
राहुल गांधी ने दावा किया कि यह ‘वोट चोरी’ का मॉडल न केवल कर्नाटक और महाराष्ट्र, बल्कि हरियाणा, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में भी लागू हो रहा है। राहुल ने कहा कि उनकी पार्टी ने जल्द ही इस मामले में एक और बड़ा खुलासा किया है, जिसमें उन्होंने ‘हाइड्रोजन बम’ दिया है।
उन्होंने मुख्य चुनाव आयुक्त पर वोट पावर को संरक्षण देने का आरोप लगाया और मांग की कि सात दिनों के भीतर साक्ष्य के रूप में रिपब्लिकन पार्टी का समर्थन किया जाए, अन्यथा देश यह मानेगा कि आयोग संविधान की हत्या में शामिल है।
बीजेपी का पलटवार
बीजेपी ने राहुल के आरोप को निराधार और लेबल नाटक करार दिया। मुस्लिम कम्युनिस्ट प्रसाद ने कहा कि राहुल न तो कानून के तत्व हैं और न ही कोई संविधान और जनता है जो उन्हें बार-बार खारिज कर देती है। अनुराग ठाकुर ने तंज कसते हुए कहा कि राहुल साधारण बम फोड़ने की बात कर रहे थे, लेकिन ये फुलझड़ीफोटो। विपक्ष के प्रवक्ता सुधांशु साहू ने दावा किया कि कांग्रेस अपनी हार को नहीं पा रही है और कांग्रेस प्रक्रिया पर सवाल उठाती है कि लोकतंत्र को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है।
राहुल गांधी की ‘वोट चोरी’ के आरोप ने भारतीय राजनीति में एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। चुनाव आयोग के नए ई-साइन नियमों से मतदाता सूची में हिस्सेदारी की संभावना को कम करने की कोशिश की गई है, लेकिन राहुल और कांग्रेस का कहना है कि यह कदम उनके प्रचार के बाद ही उठाया गया है।