मुजीर रहमान के घर में घुस रही थी पाक आर्मी, तभी चट्टान की तरह खड़ा हो गया इंडियन, जानिए वह कहानी

New Delhi बांग्लादेश में एक बार फिर भीड़तंत्र का राज हो गया. पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के शासन का तख्तापलट कर दिया गया. इसके बाद से बांग्लादेश में हिंसा जारी है. अपदस्थ पीएम शेख हसीना के ढाका वाले घर को भीड़ ने आग के हवाले कर दिया.

फरवरी को एक भीड़ ने बांग्लादेश के संस्थापक और शेख हसीना के पिता शेख मुजीर रहमान के घर को ध्वस्त कर दिया. लेकिन यह पहली बार नहीं है जब मुजीर रहमान के घर को निशाना बनाया गया हो. इससे पहले भी कई बार मुजीर रहमना के घर पर हमला हो चुका है. इस खबर में उसी हमले की बात करेंगे.

 

हसीना ने एक ऑडियो संबोधन में इस बर्बरता के बारे में बात करते हुए रो पड़ीं. उन्होंने अपने संबोधन में कहा, “एक संरचना को मिटाया जा सकता है, लेकिन इतिहास को नहीं मिटाया जा सकता.” वहीं भारत, जो इस इमारत के इतिहास का हिस्सा रहा है, ने इस कृत्य की निंदा करते हुए इसे ‘अफसोसजनक’ बताया और स्वीकार किया कि यह बांग्लादेश के लोगों के “वीर प्रतिरोध का प्रतीक” था.

भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा, “जो लोग स्वतंत्रता संग्राम को महत्व देते हैं, जिसने बांग्ला पहचान और गौरव को पोषित किया, वे बांग्लादेश की राष्ट्रीय चेतना के लिए निवास के महत्व से अवगत हैं.” यह इमारत न केवल बांग्लादेश के इतिहास में महत्वपूर्ण है, बल्कि एक भारतीय सैनिक द्वारा किए गए चुनौतीपूर्ण बचाव अभियान का केंद्र भी है, जो पाकिस्तानी गार्डों की बार-बार चेतावनी के बावजूद अकेले और निहत्थे अंदर गया था.

सैनिकों ने भारतीय सेना के सामने अपने हथियार डाल दिए. 16 दिसंबर को पाकिस्तान के लेफ्टिनेंट जनरल एएके नियाज़ी ने भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के सामने ढाका में आत्मसमर्पण के दस्तावेज़ पर हस्ताक्षर किए.

 

कुछ किलोमीटर दूर, धानमंडी में रहमान की पत्नी और तीन बच्चे – जिनमें हसीना भी शामिल थीं – अभी भी बंदी थे. क्योंकि पाकिस्तानी सैनिक इस बात से अनजान थे कि उनके सैनिकों ने अपने हथियार डाल दिए हैं और वास्तव में बांग्लादेश अब आज़ाद हो गया था.

 

जब अगली सुबह भारतीय सैनिकों को इसकी सूचना मिली, तो चार सैनिकों की टुकड़ी बंधकों को छुड़ाने के लिए पहुंची. लेकिन एक खतरा था. ऐसा माना जाता है कि पाकिस्तानी सैनिकों को आदेश दिया गया था कि अगर हार का खतरा हो तो वे सभी बंदियों को मार डालें. टुकड़ी का नेतृत्व कर रहे मेजर अशोक तारा ने अपने लोगों को पीछे रहने को कहा और गार्डों के पास जाने का कठिन काम अपने ऊपर ले लिया.

 

सैनिकों ने भारतीय अधिकारी पर अपनी बंदूकें तानते हुए चेतावनी दी, “एक और कदम और हम तुम्हें गोली मार देंगे.” लेकिन वह शांत रहा और हिंदी और पंजाबी में उनसे बात करने की कोशिश की. उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा था, “उन्हें नहीं पता था कि पाकिस्तानी सेना ने आत्मसमर्पण कर दिया है और ढाका सरकार गिर गई है. मैंने उनसे कहा कि अगर ऐसा नहीं होता तो एक निहत्था भारतीय अधिकारी उनके सामने खड़ा नहीं होता.”

 

Related Posts