निजीकरण: पांच नई बिजली कंपनियों में बांटे जाएंगे यूपी के 41 जिले, क्या मंशा, किसे फायदा?

लखनऊ, उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन प्रबंधन ने रिफार्म प्रक्रिया के तहत पूर्वांचल व दशिणांचल विद्युत वितरण निगम को तोड़कर पांच नई कंपनियां बनाने का फाइनल खाका खींच लिया। प्रदेश के 41 जिलों को इन पांच नई कंपनियों में बांटा जाएगा।

इसे साथ ही पावर कारपोरेशन प्रबंधन ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए फैसला किया कि प्रदेश के बिजली कर्मियों को संयुक्त क्षेत्र के स्थापित उपक्रम एनटीपीसी आदि में प्रतिनियुक्ति पर भेजा जा सकेगा।

प्रबंधन की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि उत्पादन निगम, पारेषण तथा वितरण निगमों के कार्मिक संयुक्त क्षेत्र के उपक्रमों जैसे एनटीपीसी, यूपीआरयूवीएनएल, एनजीएल और एनएलसी आदि के साथ की निर्माणाधीन तापीय परियोजनाओं में अपनी योग्यता के आधार पर 50 प्रतिशत तक प्रतिनियुक्ति पर जा सकें, इस दिशा में काम किया जाएगा। इस प्रावधान के लिए एनटीपीसी, एनएलसी व सीआईएल को पत्र लिखा जाएगा। इससे निगमों के कार्मिकों की योग्यता और अनुभव बढ़ सकेगा जिसका लाभ ऊर्जा निगमों को प्राप्त होगा।

प्रबंधन ने रिफार्म प्रक्रिया के तहत तय किया है कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम में वाराणसी व आजमगढ़ मंडल की आठ जिलों की एक कंपनी, प्रयागराज व मिर्जापुर मंडल की छह जिलों को मिलाकर दूसरी कंपनी तथा गोरखपुर और बस्ती मंडल के सात जिलों को मिलाकर तीसरी कंपनी बनाई जाएगी। इसी प्रकार दक्षिणांडल निगम में आगरा और अलीगढ़ मंडल के आठ जिलों को मिलाकर एक कंपनी और कानपुर, झांसी व बांदा मंडल के 12 जिलों को मिलाकर दूसरी कंपनी का गठन होगा।

सेवा शर्तों, सुविधाएं इलेक्ट्रिसिटी एक्ट के तहत ही मिलेंगी

प्रबंधन ने एक बार फिर इस बात को स्पष्ट किया है कि कर्मचारियों की सेवा शर्तों, वेतन भत्तों, सुविधाओं, प्रोन्नति के अवसरों या सेवानिवृत्ति लाभ आदि में कोई कमी नहीं आने दी जाएगी। इसे इलेक्ट्रिसिटी एक्ट-2003 की धारा-133 के अनुरूप सुनिश्चित किया जाएगा। इसे नई कम्पनियों के अनुबंध में भी डाला जाएगा। जब निविदा प्रपत्र प्रकाशित किए जाएंगे तो इस शंका का स्वतः ही समाधान हो जाएगा।

प्रबंधन ने कर्मचारियों को उत्साहित करने के लिए यह भी कहा है कि जो नई कंपनियां आएंगी उन्हें प्रशिक्षित, दक्ष व अनुभवी इंजीनियरों एवं तकनीकी व्यक्तियों की जरूरत होगी। कंपनियां ज्यादा सुविधाएं देकर सरकारी कम्पनियों से लोगों को आकर्षित करेंगी। पावर कारपोरषन प्रबंधन को यह चिंता हो रही है कि कहीं बड़ी संख्या में दक्ष व अनुभवी कर्मचारी निजी कम्पनियों में न चले जाएं।

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