लखनऊ, राज्य के हर जिले में जिलाधिकारी (डीएम) और पुलिस अधीक्षक (एसपी) ही सरकार की हर नीति को लागू कराते हैं। जिले की कानून व्यवस्था को भी बेहतर रखना भी इन्ही अफसरों की ज़िम्मेदारी है।
ऐसे महत्वपूर्ण अधिकारी अब प्रदेश तथा जिला मुख्यालयों में आयोजित होने वाली बैठकों में सांसदों और विधायकों के सामने सोफे या ऊंची कुर्सी पर नहीं बैठ सकेंगे।
सूबे की सरकार ने उक्त अधिकारियों के लिए यह आदेश जारी किया है। विधानसभा की संसदीय अनुश्रवण समिति की सिफारिश पर यह आदेश जिलों में तैनात सभी आईएएस, आईपीएस, पीसीएस और पीपीएस अधिकारियों को शासन स्तर से भेजा गया है। सरकार के इस आदेश को लेकर सूबे के अधिकारी सकते में हैं। चर्चा है कि आईएएस और आईपीएस एसोसिएशन की बैठक में इस मामले को उठाकर सरकार से उक्त आदेश को वापस लेने की मांग ही जाएगी।
उक्त आदेश को लेकर यह कहा जा रहा है कि सत्ता पक्ष के कई सांसदों और विधायकों ने यह शिकायत की थी कि सरकारी बैठको में जिले के डीएम और एसपी प्रोटोकॉल का ध्यान नहीं रखते हैं। ये अधिकारी खुद तो ऊंची कुर्सियों या सोफे पर बैठते हैं, जबकि सांसदों-विधायकों के बैठने के लिए सामान्य कुर्सी की व्यवस्था की जाती है।
सांसदों और विधायकों का यह भी कहना था कि उक्त अधिकारी उनके द्वारा बताए गए कार्यों को भी करने में आनाकानी करते हैं और उनका फोन नहीं उठाते। ऐसी शिकायतों से लैस सत्ता पक्ष के तमाम विधायकों की शिकायत पर विधानसभा के अध्यक्ष सतीश महाना की अध्यक्षता में प्रोटोकाल उल्लंघन संबंधी मामलों को लेकर हुई संसदीय अनुश्रवण समिति की बैठक में ऐसे सभी प्रकरणों पर विचार-विमर्श हुआ।
इस दौरान विधायकों ने प्रदेश तथा जिला मुख्यालय स्तर पर होने वाली बैठकों में अधिकारी प्रोटोकाल का उल्लंघन करने के मामले में फैसला लेने पर ज़ोर दिया। विधानसभा अध्यक्ष को बताया कि प्रदेश तथा जिला मुख्यालय स्तर पर होने वाली बैठकों में अधिकारियों की कुर्सियों पर तौलिया रखी होती है, लेकिन सांसद तथा विधायक की कुर्सियां सामान्य होती हैं।
इस भेदभाव को खत्म किया जाए। विधायकों के इस कथन पर संसदीय अनुश्रवण समिति ने शासन को अपनी सिफ़ारिश भेजी। जिसके बाद शासन स्तर से सभी अधिकारियों को निर्देश जारी किया गया कि यदि अधिकारी सोफे पर बैठते हैं तो जनप्रतिनिधियों के बैठने के लिए भी सोफे की व्यवस्था होनी चाहिए। यदि अधिकारी कुर्सियों पर बैठते हैं तो अधिकारियों वाली कुर्सियों की तरह ही जनप्रतिनिधियों के लिए कुर्सी की व्यवस्था की जाए।