हार्ट अटैक या फिर हार्ट डिजीज की स्थिति में दांतों और मसूड़ों के आसपास भी दिखते हैं कई तरह के संकेत

नई दिल्ली, हार्ट अटैक या फिर हार्ट डिजीज की स्थिति में दांतों और मसूड़ों के आसपास भी कई तरह के संकेत दिख सकते हैं। आइए जानते हैं इन संकेतों के बारे में विस्तार से-

आज के समय में हार्ट अटैक या हार्ट से जुड़ी परेशानी काफी ज्यादा कॉमन हो चुकी है। हमारे दादा दादी के समय में बुजुर्गों को ही हार्ट अटैक आता था, लेकिन आज के समय में कम उम्र के लोगों को भी हार्ट अटैक आने की खबरें आय दिन सुनने में मिलती है। हार्ट अटैक या फिर हार्ट से जुड़ी परेशानी के कई कारण हो सकते हैं, जिसमें स्थिर जीवनशैली, खानपान में बदलाव, कई तरह की क्रोनिक डिजीज शामिल है। हार्ट अटैक आने से पहले शरीर के कई हिस्सों में संकेत नजर आने लगते हैं। कुछ संकेत दांतों और मसूड़ों के आसपास भी दिखते हैं। आइए जानते हैं हार्ट अटैक आने से पहले मसूड़ों और दांतों में दिखने वाले लक्षण कौन से हैं?

दांतों और मसूड़ों के आसपास हार्ट अटैक के कई तरह के लक्षण नजर आ सकते हैं। आइए जानते हैं इन लक्षणों के बारे में विस्तार से-

बता दें कि हार्ट अटैक और दांतों-मसूड़ों में परेशानी होने के बीच एक गहरा संबंध है। अगर आप आप दांतों और मसूड़ों की अच्छी तरह से देखभाल नहीं करते हैं, तो इससे हार्ट हेल्थ काफी हद तक बिगड़ सकता है।

दरअसल, दांतों में लंबे समय से गंदगी होने की वजह से यह हार्ट की परेशानी को बढ़ा सकता है, जिसकी वजह से हार्ट अटैक आने की संभावना बढ़ जाती है।

हार्ट अटैक से बचने के लिए क्या करें? – How to Prevent from Heart Attack

हार्ट अटैक से बचने के लिए आप कई तरह के उपायों को आजमा सकते हैं, जैसे-

  • अपने खानपान और लाइफस्टाइल को बेहतर करने की कोशिश करें।
  • ब्लड प्रेशर, कोलेस्ट्रॉल और ब्लड शुगर इत्यादि को कंट्रोल करें।
  • नियमित रूप से कम से कम 30 मिनट एक्सरसाइज करें।
  • तेल-मसालेदार खाना खाने से बचें।
  • जंकफूड्स से दूरी बनाएं।
  • हाई फाइबर और एंटऑक्सीडेंट्स से रिच आहार का सेवन करें।
  • शराब और धूम्रपान से बचें।
  • रोजाना योग और मेडिटेशन का अभ्यास करें, इत्यादि।

Disclaimer : हमारे लेखों में साझा की गई जानकारी केवल इंफॉर्मेशनल उद्देश्यों से शेयर की जा रही है इन्हें डॉक्टर की सलाह के रूप में नहीं माना जाना चाहिए। किसी भी बीमारी या विशिष्ट हेल्थ कंडीशन के लिए स्पेशलिस्ट से परामर्श लेना अनिवार्य होना चाहिए। डॉक्टर/एक्सपर्ट की सलाह के आधार पर ही इलाज की प्रक्रिया शुरु की जानी चाहिए।

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