नई दिल्ली , सरकार ने एक बार फिर बैंकों की मर्जर की तैयारी शुरू कर दी है. भारत सरकार ने चार छोटी बैंक का विलय करने की योजना तैयार कर ली है. कुछ रिपोर्टर्स के अनुसार सरकार का पीएसयू बैंको के विलय की राउंड टू की प्लानिंग शुरू हो गई है.
इसमें सरकार चार छोटे बैंक को की विलय के लिए दो विकल्पों पर विचार कर रही है. जिसके लिए सरकार बैंकिंग रेगुलेशन अमेंडमेंट एक्ट में भी बदलाव कर सकती है. यह योजना सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को मजबूत बनाने और उनके वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा बनाने के लिए किया जा रहा है. सरकार का कहना है कि विलय से बैंकों की वित्त स्थिति मजबूत होगी. जिससे वह बेहतर सेवाएं और अधिक लोन लोगों को मुहैया करा पाएगी.
किन बैंकों(Banks) का हो रहा है विलय
हाल के एक रिपोर्ट के अनुसार सरकार ने चार पीएसयू बैंकों की विलय की योजना बना रही है. जिसमें यूको बैंक, बैंक ऑफ़ महाराष्ट्र, पंजाब एंड सिंध बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया जैसे पीएसयू बैंक शामिल है. इसमें सरकार दो विकल्पों पर विचार कर रही है. जिसमें पहला विकल्प में यूको बैंक और बैंक ऑफ़ महाराष्ट्र का विलय हो सकता है. साथी पंजाब एंड सिंद बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया का भी विलय हो सकता है. वहीं सरकार दूसरे विकल्प में यह सोच रही है कि बैंकिंग सॉफ्टवेयर के हिसाब से यूनियन बैंक ऑफ़ इंडिया और केनरा बैंक या इंडियन बैंक का विलय करना चाहिए.
विलय के लिए सरकार कर सकते हैं कुछ बदलाव
सरकार विलय को लेकर कुछ बदलाव करने की तैयारी में है. जिसमें वह बैंकिंग रेगुलेशन अमेंडमेंट एक्ट में चेंजस कर सकती है. इस विलय पर कुछ कर्मचारी सांडों का विरोध देखने को मिला है. क्योंकि उनका कहना है कि बैंकों की विलय के कारण उनकी नौकरी छूट सकती है. विलय से संबंधित कोई भी निर्णय में बैंकों की भूमिका नहीं होगी. इस विलय से संबंधित सारे निर्णय सरकार द्वारा ली जाएगी. यह बिल है भारत के बैंकिंग उद्योग के लिए महत्वपूर्ण घटना होगी.
पीएसयू बैंक (Banks) में सरकार का हिस्सा
सेंट्रल बैंक में सरकार का 93.08% हिस्सेदारी है और वही बैंक ऑफ़ महाराष्ट्र में सरकार का 86.46% हिस्सेदारी है. जबकि पंजाब एंड सिंद बैंक में सरकार का 98.25%, यूको बैंक में 95.39% का हिस्सा है. बता दे की सरकार ने इससे पहले 2019 में 10 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का विलय की घोषणा हुई थी.