नई दिल्ली, कैंसर के इलाज में वैज्ञानिकों ने एक क्रांतिकारी खोज की है! उन्होंने एक नया तरीका विकसित किया है जो कैंसर कोशिकाओं को 99% तक नष्ट कर सकता है और संभावित रूप से कठिन सर्जरी की जरूरत को भी कम कर सकता है.
इस नई तकनीक में अमीनोसायनिन मॉलिक्यूल का उपयोग किया जाता है, जो आमतौर पर जैव-इमेजिंग में सिंथेटिक डाई के रूप में काम करते हैं. ये मॉलिक्यूल (अणु) जब नियर-इन्फ्रारेड लाइट से उत्तेजित होते हैं तो कैंसर सेल्स की झिल्ली को तोड़ देते हैं.
राइस यूनिवर्सिटी के केमिस्ट जेम्स टूर ने साइंस अलर्ट से बात में बताया कि इस तकनीक को ‘मॉलीक्यूलर मशीनों की एक पूरी नई पीढ़’ कहते हैं, जिन्हें ‘मॉलीक्यूलर जैकहैमर’ नाम दिया गया है. ये मॉलीक्यूलर जैकहैमर अपने पूर्ववर्ती फेरिंगा-टाइप मोटर्स की तुलना में एक मिलियन गुना तेजी गति से काम करते हैं और उन्हें नियर-इन्फ्रारेड लाइट से एक्टिल किया जा सकता है.
इस नई तकनीक के नतीजे बेहद उत्साहजनक हैं. प्रयोगशाला में किए गए टेस्ट में इसने कैंसर सेल्स को 99% तक नष्ट कर दिया. इसके अलावा, चूहों पर किए गए टेस्ट में भी इस तकनीक ने आधे चूहों के मेलानोमा ट्यूमर को पूरी तरह से समाप्त कर दिया. अमीनोसायनिन मॉलिक्यूल की स्ट्रक्चर और कैमिकल प्रॉपर्टीज उन्हें नियर-इन्फ्रारेड लाइट के साथ सटीक रूप से तालमेल बिठाने की अनुमति देते हैं. इन मॉलिक्यूल के हिलने-डुलने से उनके अंदर प्लास्मोन नामक कंपन करने वाले कण बनते हैं, जो पूरे मॉलिक्यूल को हिलाते हैं. ये प्लास्मोन कैंसर सेल्स की झिल्ली से जुड़कर उन्हें कंपाते हुए नष्ट कर देते हैं.
हालांकि यह खोज अभी प्रारंभिक अवस्था में है, लेकिन वैज्ञानिक इस बायोमेकेनिकल तकनीक के कैंसर उपचार में संभावित क्रांतिकारी प्रभाव के बारे में आशावादी हैं. वे इसी तरह के गुणों वाले अन्य मॉलिक्यूल की खोज कर रहे हैं, जो भविष्य में कैंसर के खिलाफ लड़ाई में और भी शक्तिशाली हथियार बन सकते हैं. इस नई खोज कैंसर रोगियों के लिए एक बड़ी उम्मीद है. यह न केवल कैंसर के उपचार को अधिक प्रभावी बना सकता है, बल्कि सर्जरी की जरूरत को कम कर रोगियों के दर्द और परेशानी को भी कम कर सकता है. भविष्य में यह तकनीक कैंसर के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है.