चाहे जितनी भी पुरानी हो शराब की लत शर्तियां जायेगी छूट, वैज्ञानिकों ने खोजा एक बेहद अनोखा तरीका

नई दिल्ली, आधुनिक चिकित्सा विज्ञान ने बहुत तरक्की कर ली है। जिन बीमारियों को पहले असाध्य माना जाता था, उनका भी कारगर इलाज ढूंढ लिया गया है। जीन थैरेपी भी ऐसा ही एक इलाज है। पार्किंसंस और कई अन्य आनुवंशिक बीमारियों के इलाज के लिए जीन थैरेपी को प्रयोग किया जाता है। अब इसी तरीके से ज्यादा शराब पीने की लत का भी इलाज किया जा सकेगा।

दिमाग का करना होगा एक छोटा सा ऑपरेशन

ओरेगांव हेल्थ एंड साइंस यूनिवर्सिटी एंड इंस्टीट्यूशन्स के शोधकर्ताओं ने इस संबंध में बड़ी खोज की है। उन्होंने अपने शोध के दौरान कई प्रयोगों में पाया कि शराब पीने की आदत का सीधा संबंध हमारे दिमाग में बनने वाले डोपामाइन हार्मोन से है। यदि दिमाग का एक छोटा सा ऑपरेशन कर मस्तिष्क के संबंधित भाग को ट्रीट किया जाए तो व्यक्ति शराब पीना छोड़ सकता है।

ओरेगांव प्राइमेट नेशनल रिसर्च सेंटर (ONPRC) के शोधकर्ता प्रोफेसर कैथलीन ग्रांट ने अपने शोध (Science News) के बारे में बताते हुए कहा कि रिसर्च में चौंकाने वाले नतीजे मिले हैं। रिसर्च के नतीजे Nature Medicine में पब्लिश किए गए हैं। यह रिसर्च मकाउ बंदरों पर की गई थी जो जेनेटिकली काफी हद तक मनुष्यों से मिलते-जुलते हैं। ये सभी बंदर एल्कोहल के लती थे तथा काफी ज्यादा एल्कोहल पीना पसंद करते थे।

इस तरह किया गया इलाज

रिसर्च टीम ने शोध के लिए चुने गए 4 बंदरों के दिमाग की छोटी सी सर्जरी कर वहां पर एक वायरस इंजेक्ट किया। यह वायरस शरीर के लिए हानिकारक नहीं है तथा Glial-Derived Neurotrophic Factor (GDNF) नामक एक प्रोटीन बनाने के लिए जरूरी जीन कोड रखता है।

सर्जरी के बाद इन बंदरों में शराब पीने की इच्छा 90 फीसदी तक कम हो गई थी। कुछ समय बाद उन्होंने एल्कोहल लेना पूरी तरह से बंद कर दिया और पानी पीने लगे। हालात यहां तक बनें कि उनके शरीर में एल्कोहल की मात्रा लगभग जीरो लेवल पर पहुंच गई।

GNDF एक खास तरह का प्रोटीन है जो शरीर में कोशिकाओं को उत्तेजित कर दिमाग में मौजूद न्यूरॉन्स को डोपामाइन हार्मोन ज्यादा बनाने के लिए मोटिवेट करता है। डोपामाइन को हैप्पी हार्मोन भी कहा जाता है। इससे बनने से व्यक्ति अच्छा और खुश अनुभव करता है।

शराब या किसी भी अन्य नशे से भी दिमाग को अच्छा अनुभव होता है, इसी वजह से आदमी को उस नशे की लत लगती है। हालांकि ज्यादा मात्रा में नशा करने से डोपामाइन बनना कम हो जाता है और आदमी को अच्छा अनुभव करने के लिए ज्यादा से ज्यादा खुराक लेने की जरूरत अनुभव होने लगती है।

इस सर्जरी में एक एडेनो-एसोशिएटेड वायरस का प्रयोग किया जाता है जो किसी तरह का रोग नहीं फैलाता है वरन हमारे शरीर के डीएनए में मौजूद जीन को बदलता है। इस तरह की सर्जरी का प्रयोग मेडिकल जगत में पहले से ही पार्किंसंस रोग का इलाज करने में किया जा रहा है।

यदि मानव शरीर पर भी इस सर्जरी के सकारात्मक नतीजे (Science News) आते हैं तो बहुत जल्दी शराब की लत वाली बीमारी को बहुत कम समय और खर्चें में आसानी से दूर किया जा सकेगा। उल्लेखनीय है कि पूरे विश्व में हर वर्ष लगभग 1,40,000 लोग शराब के कारण होने वाली बीमारियों के कारण अपनी जान गंवा बैठते हैं।

डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए है और इसे डॉक्टरी सलाह, निदान या उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए। किसी भी तरह की स्वास्थ्य समस्या दूर करने के लिए डॉक्टर से संपर्क अवश्य करें एवं उनकी सलाह से ही दवा लें।

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