गौतमबुद्ध नगर, नोएडा के बहुचर्चित निठारी कांड मामले में फांसी की सजा के खिलाफ दोषी सुरेंद्र कोली और मोनिंदर सिंह पंढेर की अपील पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई जारी है. इस मामले पर आज 13 जुलाई को भी कोर्ट में सुनवाई होगी.
इस मामले पर जस्टिस अश्वनी कुमार मिश्र और जस्टिस एस एच ए रिजवी की खंडपीठ सुनवाई कर रही है. इस मामले पर बहस करते हुए सीबीआई के अधिवक्ता संजय यादव व जितेंद्र प्रसाद मिश्र ने कहा कि भले ही इस मामले में कोई चश्मदीद न हो लेकिन अपराध के पर्याप्त सबूत हैं.
सीबीआई के वकीलों ने दलील दी कि अभियुक्त ने स्वेच्छा से अपराध कबूल किया है, उसे सोचने का पूरा समय दिया गया था. उसका बयान सच पर आधारित है. सीबीआई कोर्ट की तरफ से उन्हें विधिक सहायता भी मुहैया कराई गई थी. उन्होंने कहा कि जांच के दौरान सीबीआई ने अभियुक्तों को प्रताड़ित नहीं किया और न ही ये बयान दबाव डालकर लिया गया है. वहीं कोर्ट ने सवाल किया कि पड़ोसी डाक्टर, जिस पर गुर्दा कांड में लिप्त होने का आरोप है, उसका बयान दर्ज क्यों नहीं किया गया, जिसके जवाब में कहा गया कि बयान सबूतों से आच्छादित है.बयान व बरामद साक्ष्यों की कड़ियां पूरे घटनाक्रम का खुलासा करती है.
सीबीआई के वकील ने कहा कि, अभियुक्त लड़कियों को गुमराह कर कोठी में लाता था और अमानवीय अपराध करता था. जिसे उसने स्वयं ही स्वीकार किया है. उसकी कोठी के पास नाले से नर कंकाल के अवशेष मिले थे. लापता लड़कियों के परिवार का डीएनए भी मैच कर गया है. भले ही कोई चश्मदीद नहीं है, फिर भी अपराध का पर्याप्त सबूत हैं. सुरेंद्र कोली को एक दर्जन मामलों में फांसी की सजा दी जा चुकी है.
दरअसल ये मामला साल 2005-2006 के बीच का है जब एक शख्स ने सेक्टर 20 थाने में अपनी बेटी के गुमशुदा होने की शिकायत दर्ज कराई थी. इसके बाद जब जांच की गई तो निठारी के रहने वाले मोनिंदर सिंह पंढ़ेर की कोठी के पीछे स्थित नाले से कई नरकंकाल बरामद हुए हैं. इनमें से कई बच्चों को नरकंकाल भी शामिल थे. इस घटना के बाद पूरे इलाके में हड़ंकप मच गया था.