मछली के अंदर से निकला 44 करोड़ रुपए का खजाना, वैज्ञानिक भी हुए हैरान, जानें आखिर क्या है यह अजीब पत्थर?

नई दिल्ली, पिछले महीने स्पेन के कैनरी द्वीप ला पाल्मा में नोगेल्स समुद्र तट पर मृत पाई गई एक व्हेल की कीमत 44 करोड़ रुपए से अधिक हो सकती है. क्योंकि वैज्ञानिकों को इसकी अंतड़ियों में छिपा एक बहुमूल्य खजाना मिला है.

लास पाल्मास विश्वविद्यालय में पशु स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा संस्थान के प्रमुख एंटोनियो फर्नांडीज रोड्रिग्ज ने व्हेल के शव परीक्षण के दौरान पाया उसकी मृत्यु एक पाचन समस्या के कारण हुई थी. मछली के अंदर कुछ कठोर चीज फंसी हुई मिली, जो उसकी मृत्यु का कारण साबित हुई.

विऑन की रिपोर्ट के अनुसार, लास पाल्मास विश्वविद्यालय के एक वैज्ञानिक रोड्रिग्ज ने कहा, “मैंने जो निकाला वह लगभग 9.5 किलोग्राम वजन का एक पत्थर था. किसी को पता नहीं था कि मेरे हाथों में जो था वह एम्बरग्रीस था. यह अनुमान लगाया गया है कि रोड्रिग्ज के हाथ में जो पत्थर था उसकी कीमत 5.4 मिलियन डॉलर (लगभग 44 करोड़ रुपए) से अधिक हो सकती है. अब संस्थान एक ऐसे खरीदार की तलाश कर रहा है जो एम्बरग्रीस खरीद सके, और यह धन 2021 में ला पाल्मा पर फटे ज्वालामुखी के पीड़ितों की मदद के लिए इस्तेमाल में लाया जा सके.

आम तौर पर व्हेल की उल्टी को एम्बरग्रीस कहा जाता है, एम्बरग्रीस पुराने फ्रांसीसी शब्दों ‘एम्बर’ और ‘ग्रिस’ से लिया गया है, जिसका मोटे तौर पर अनुवाद ग्रे एम्बर होता है. व्हेल इस ठोस मोमी पदार्थ को उल्टी के रूप में पैदा करती है जिसे मछुआरे अक्सर समुद्र में तैरते हुए पाते हैं. व्हेल आमतौर पर बड़ी मात्रा में स्क्विड और कटलफिश खाकर जीवित रहती हैं. हालांकि इसका अधिकांश भाग पच नहीं पाता और उल्टी के रूप में बाहर आ जाता है. इसका कुछ हिस्सा पाचन तंत्र में रहता है और वर्षों तक आपस में जुड़कर एम्बरग्रीस बनाता है

इसे समुद्र का खजाना या तैरता हुआ सोना कहा जाता है क्योंकि परफ्यूम कंपनियां खुशबू बनाए रखने के लिए एम्बरग्रीस से निकाली गई एम्बरीन अल्कोहल का उपयोग करती हैं. इस वस्तु की दुर्लभता के कारण इसे यूनाइटेड किंगडम और ऑस्ट्रेलिया जैसे कुछ देशों में प्रतिबंधित कर दिया गया है. भारत ने भी वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 के तहत एम्बरग्रीस के रखने और इसकी बिक्री पर प्रतिबंध लगाया हुआ है.

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