यूपी में निर्बाध बिजली देने के सरकारी दावों की पोल खुली, भीषण गर्मी में बिजली कटौती, जूझ रहा यूपी का हर शहर!, टोल फ्री नंबर 1912 पर हजारों फोन

लखनऊ, उत्तर प्रदेश के लोग इस भीषण गर्मी में बिजली की कटौती से जूझ रहे हैं. यूपी के हर शहर में लोग बिजली कटौती से परेशान हैं. लखनऊ, कानपुर, गोरखपुर, वाराणसी, बाराबंकी, अयोध्या, नोएडा, गाजियाबाद और प्रयागराज समेत सूबे के सभी शहरों और गांवों में बिजली कटौती हो रही है.

हालांकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 22 जून तक कटौती न करने का आदेश दिया हैं. इसके बाद भी सूबे के किसी शहर में 24 घंटे लोगों को निर्बाध बिजली नहीं मिल पा रही है. लोगों को निर्बाध बिजली देने के सरकारी दावे की पोल सरकार के ही टोल फ्री नंबर-1912 पर आ रही शिकायतें खोल रही हैं.

गत मंगलवार इस टोल फ्री नंबर पर लखनऊ और आसपास के जिलों से बिजली कटने की 16290 शिकायतें आईं जिनमें ट्रांसफार्मर जलने, फूंकने और खराब होने की 980 शिकायतें थीं. इस तिथि में पूरे प्रदेश से 1912 पर 31114 शिकायतें आईं. इसी प्रकार की शिकायत सूबे के अन्य जिलों में भी मिल रही हैं.

फिलहाल इस स्थिति से निपटने के लिए पावर कार्पोरेशन के अधिकारी और कर्मचारी दिन रात जूझ रहे हैं, लेकिन भीषण गर्मी में लगातार बढ़ रही मांग के चलते उनके प्रयास भी नाकाफी साबित हो रहे हैं. भीषण गर्मी के चलते गत मंगलावर को यूपी में बिजली की मांग बढ़कर 27,611 मेगावाट पहुँच गई.

अभी मानसून आने में समय है, इसलिए गर्मी बढ़ने पर बिजली की मांग 28 हजार मेगावाट से ऊपर भी पहुंचने का अनुमान है. यूपी पावर कारपोरेशन के अध्यक्ष एम देवराज के अनुसार, 27,611 मेगावाट बिजली की मांग-आपूर्ति का 13 जून को नया रिकॉर्ड बना है.

पावर कारपोरेशन गांव को 18.05 घंटे, पंचायतों को 21.30 घंटे, तहसीलों को 21.30, बुंदेलखंड 20, जिला, मंडल, महानगर, तथा उद्योगों को 24 घंटे विद्युत आपूर्ति करने में जुटा है. लेकिन लोकल फाल्ट के चलते मतलब ट्रांसफार्मर जलने, फूंकने और खराब होने तथा लाइन ट्रिप करने के कारण लोगों को निर्बाध बिजली नहीं मिल पा रही है.

पावर कार्पोरेशन के अफसरों के अनुसार इन दिनों रोज 650 से अधिक ट्रांसफार्मर फूंक रहे हैं. इनकी मरम्मत 24 घंटे में करने का प्रबिधान है लेकिन यह हो नहीं पा रहा है. ऐसे में यूपी के 3.53 करोड़ बिजली उपभोकता बिजली के संकट से जूझ रहे है.

सूबे के बिजली संकट को लेकर राज्य उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा कहते हैं, यूपी में 3.53 करोड़ बिजली उपभोक्ताओं के लिए कुल स्वीकृत लोड 75 हजार मेगावाट है. इसके विपरीत पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन के 132 केवी सब स्टेशनों की कुल क्षमता 55 हजार मेगावाट के आसपास है.

बिजली चोरी का लगभग 20 फीसदी लोड अलग से है. 132 केवी सब स्टेशन ही वह इकाई हैं, जहां से बिजली आपूर्ति सुनिश्चित की जाती है. इस आंकड़े से यह साफ हो जाता है कि सूबे में जितना कनेक्शन और लोड स्वीकृत है, हमारे सब स्टेशन उसके हिसाब से अपडेटेड नहीं हैं. नतीजा, ब्रेक डाउन के रूप में सामने आ रहा है और लोग बिजली की उपलब्धता होने के बाद भी बिजली संकट से जूझ रहे हैं.

समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने बिजली की कमी से जूझ रहे लोगों की आवाज उठाई है. उन्होने कहा है कि प्रदेश में बिजली की उपलब्धता सिर्फ कागजों पर है. 24 घंटे बिजली आपूर्ति का दावा करने वाली भाजपा सरकार में अघोषित बिजली कटौती के चलते जनता त्राहि-त्राहि कर रही है.

बिजली का महंगा बिल भरने के बाद भी लोग गर्मी में उबल रहे हैं. वही दूसरी तरफ सीएम योगी को परेशान जनता की फिक्र नहीं है. सीएम और उनकी पार्टी के नेता तो लोगों की परेशानियों से बेखबर भाजपा के नेता टिफिन खाने का नाटक कर रहे हैं.

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