भारतीय मुसलमानों के लिए न्याय और अधिकारिता पहल’ नामक बना विभाग, मुसलमानों से एकजुट होने की अपील

सहारनपुर, उत्तर प्रदेश में सहारनपुर के देवबंद (Deoband) में आज जमीयत उलेमा-ए-हिंद (Jamiat Ulema-e-hind) की ओर से जलसे का आयोजन किया जा रहा है।

देवबंद के ईदगाह में आयोजित इस कार्यक्रम में तीन मुख्य प्रस्ताव पास किए गए हैं। पूरे देश के करीब 5 हजार मुस्लिम धर्म गुरुओं (Muslim Religious Leaders) ने हिस्सा लिया। यह सभी अलग-अलग संगठनों से जुड़े हैं। यह जलसा 29 मई तक चलेगा। इस जलसा का उद्देश्य मुस्लिम समाज के लोगों को एकजुट करना है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने पहला प्रस्ताव पास किया है कि विधि आयोग की 267वीं रिपोर्ट 2017 की सिफारिशों के अनुरूप तत्काल कदम उठाए जाएं। इसके साथ ही कहा गया है कि उकसाने वाले लोगों को दंडित करने के लिए एक अलग कानून का मसौदा तैयार किया जाए। दूसरे प्रस्ताव पास किया गया कि 14 मार्च को ‘इस्लामोफोबिया का मुकाबला करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। तीसरे प्रस्ताव पास किया कि उलेमा ने अन्याय और दमन से निपटने की रणनीति विकसित करने के लिए ‘भारतीय मुसलमानों के लिए न्याय और अधिकारिता पहल’ नामक विभाग बनाया है, लेकिन जमीनी स्तर पर भी प्रयास करने होंगे।

बता दें कि जमीयत उलेमा-ए-हिंद के इस कार्यक्रम का उद्देश्य यह है कि मुसलमानों को एकजुट किया जा सके। ज्ञानवापी मस्जिद, आगरा विवाद, कुतुब मीनार आदि मुद्दों को लेकर मुस्लिमों की आवाज एकसुर में उठाया जाए। यही कारण है कि मुस्लिम बुद्धिजीवियों को इस बार तवज्जो दी जा रही है। इससे पूर्व भी जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने मुस्लिम समुदाय के लोगों का आह्वान किया था कि ज्ञानवापी जैसे मुद्दे को सड़क पर न लाया जाए और सभी प्रकार के सार्वजनिक प्रदर्शनों से बचा जाए। जमीयत के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने एक बयान में कहा कि था कुछ ‘शरारती लोग’ इस मामले के बहाने दो समुदायों के बीच दरार पैदा करने की कोशिश में हैं, इसलिए संयम बरतना जरूरी है।

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