पटना, बिहार में इन दिनों सियासी सरगरमियां बढ़ी हुई हैं। क़यास लगाए जा रहे हैं कि सत्ता परिवर्तन भी हो सकता है। विकासशील इंसान पार्टी के सुप्रीमो ने मंगलवार की शाम लाइव आकर अपना दर्द बयान किया।
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उन्होंने कहा कि मेरे बढ़ते कद और पार्टी का दायरा बढ़ने की वजह से सहयोगी दल दबाने की कोशिश कर रहे हैं। एक तरह से मुझे एनडीए से बाहर कर दिया गया है। लेकिन वो अभी नीतीश सरकार का ही हिस्सा हैं। उन्होंने फेसबुक लाइव के दौरान कहा कि हमारे सहयोगी की तरफ़ से राजनीति नहीं कूटनीति की जा रही है।
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बिहार के सियासी गलियारों में यह भी चर्चा ज़ोरों पर है कि भारतीय जनता पार्टी कैबिनेट से मुकेश सहनी की छुट्टी करना चाहती है। वहीं दूसरी तरफ़ भाजपा के रिश्ते जदयू से बिगड़ते जा रहे हैं। अब तो बिहार सरकार के मंत्री मुकेश सहनी ने भी इस बात को मान लिया है कि उन्हें एनडीए से किनारा कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि मेरे सहयोगी दल रोकने की कोशिश कर रहे हैं। क्योंकि उन्हें (सहयोगी) मालूम है कि हमलोगों की ताकत बढ़ने पर से ज़्यादा सीटों पर समझौता करना पड़ेगा। जदयू ने भी उत्तर प्रदेश में चुनाव लड़ा लेकिन उन्हें कुछ भी नहीं बोला जा रहा है। सिर्फ हमलोगों को कमज़ोर मानकर बोला जा रहा है। उन्होंने कहा कि बिहार सरकार में मंत्री होने की वजह से मैं ज़्यादा नहीं बोल सकता आप मेरे ईशारों को समझने की कोशिश करें।
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सन ऑफ मल्लाह मुकेश सहनी ने कहा कि लालु यादव की बात नहीं मानने का मुझे अफसोस है। अगर मैंने उनकी बात मान ली होती तो यह दिन देखना नहीं पड़ता। राष्ट्रीय जनता दल की तरफ से चार मंत्री और डिप्टी सीएम बनाने का ऑफर मैंने ठुकरा दिया था। उन्होंने कहा कि मैंने और भी ऑफर एनडीए और सीएम नीतीश कुमार पर भरोसा कर के ठुकरा दिया था लेकिन जो आज हो रहा है वह आप सबके सामने है। सूत्रों की मानें तो मुकेश सहनी आरजेडी के साथ मिलकर बिहार में एनडीए गठबंधन को झटका देने की तैयारी कर रहे हैं। वह अपने विधायकों समेत दूसरे विधायकों को भी राष्ट्रीय जनता दल यूनाइटेड को समर्थन दिलवाने की रणनीति तैयार कर रहे हैं।
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बिहार में जिस तरह के मौजूदा हालात बन रहे हैं ऐसे में विधानसभा सीटों का आंकड़ा समझना बहुत ही ज़रूरी है क्योंकि ज़रा सी भी चूक हुई तो बिहार में सत्ता पलट सकती है। आपको बता दें कि बिहार में कुल 243 विधानसभा सीटें हैं। इनमें 242 सीटों पर सदस्य हैं लेकिन एक सीट अभी खाली है। वहीं बिहार में सत्ता पर क़ाबिज़ होने के लिए 122 सीटों की ज़रूरत होती है, जिसमें एनडीए गठबंधन के पास 127 विधायकों का समर्थन है। वहीं विपक्ष के पास 115 विधायक हैं। विकासशील इंसान पार्टी के पास 4 विधायक हैं। हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के 4 विधायाक हैं। अब अगर वीआईपी के विधायकों ने समर्थन वापस लिया तो एनडीए के पास 123 सीटें बचेंगी। अगर विपक्षी दल जोड़ तोड़ की सियासत कर हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा और विकासशील इंसान पार्टी के विधायकों को अपनी तरफ़ लाने में कामयाबी हासिल कर लेता है या अन्य दलों के विधायकों से समर्थन ले लेता है तो बिहार में सत्ता परिवर्तन हो सकता है
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