चन्नई, मद्रास हाई कोर्ट ने कहा है कि भगवान हर जगह मौजूद है. लिहाजा ईश्वर को अपनी दिव्य उपस्थिति के लिए किसी खास स्थान की आवश्यकता नहीं है।
हाई कोर्ट ने ये बातें एक केस की सुनवाई के दौरान कही. इस मामले में कोर्ट से एक सार्वजनिक जमीन पर मौजूद मंदिर को हटाने पर रोक लगाने की मांग की गई थी. साथ ही मद्रास उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कहा कि धर्म के नाम पर लोगों को बांटने के लिए सभी समस्याओं का मूल कारण कट्टरपंथी है।
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एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति एस वैद्यनाथन और न्यायमूर्ति डी भरत चक्रवर्ती की बेंच कर रही थी. जजों ने कहा कि कोर्ट में याचिका दायर करने वाले हाईवे की प्रॉपर्टी को मंदिर के नाम पर कब्जा नहीं कर सकते. साथ ही कोर्ट ने कहा कि इस सार्वजनिक जमीन का इस्तेमाल किसी भी जाति और धर्म के लोग कर सकते हैं।
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जजों ने आगे कहा, ‘अगर याचिकाकर्ता भक्तों को विनयनगर की किसी भी हालत में पूजा करने की सुविधा देना चाहता है तो वो इसके लिए आजाद है. लेकिन इसके लिए वो अपनी ज़मीन दे. वहां मंदिर बनवाएं और भगवान को मूर्ति को उसी जगह जा कर रख दें।
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बता दें कि हाईकोर्ट में याचिका एस पेरियासामी नाम के एक शख्स ने दायर की थी. दरअसल स्टेड हाईवे डिपार्टमेंट ने तमिलनाडु के वेप्पानथात्ती से मंदिर हटाने को कहा था. ये मंदिर पेरमवलुर ज़िले में है. याचिकाकर्ता ही मंदिर के ट्रस्टी है. उन्होंने हाई कोर्ट में दलील दी कि ये मंदिर यहां 3 दशक से भी ज्यादा समय से है. साथ ही उन्होंने कहा कि इस मंदिर को बनाते समय ये ध्यान रखा गया था कि हाईवे पर गाड़ियों को आने-जाने में कोई परेशानी न हो।
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हाईकोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दी. कोर्ट ने कहा कि अगर ये मंदिर पिछले तीन दशक से वहां है तो वो इसको लेकर सारे कागजात दिखाए कि ये मंदिर की ज़मीन है. हाई कोर्ट ने कहा कि अगर मंदिर को वहां रहने की इजाजत दी जाती है तो फिर हर कोई ऐसी मांग करेगा।
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