पांच राज्यों में होने वाले चुनावों की घोषणा के बाद लागू हो गई आचार संहिता, जानिए क्या होते हैं नियम

नई दिल्ली, इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया ने पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है। यूपी, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर में होने वाले विधानसभा चुनाव इस बार भारतीय इतिहास में हुए चुनावों से काफी अलग होंगे।

कोरोना महामारी की तीसरी लहर के साये में होने वाले इस चुनाव में काफी नए नियम लागू होंगे। चुनाव आयोग की तारीखों के ऐलान के साथ ही इन पांचों राज्यों में आज से आचार संहिता लागू हो गई है, जिसके तहत कुछ कड़े नियम इन राज्यों में लागू हो जाएंगे, जिनके उल्लंघन पर राजनीतिक पार्टियों के तहत कार्रवाई की जा सकती है।

 

जब तक पांच राज्यों में चुनाव रहेगा, तब तक आचार संहिता लागू रहेगी। मतगणना के बाद चुनावी रिजल्ट के साथ आचार संहिता खत्म हो जाएगी और इसके तहत लगने वाली पाबंदियां भी खत्म हो जाएंगी। आपको बता दें कि आचार संहिता के दौरान राज्य की व्यवस्था एक तरह से चुनाव आयोग के कंट्रोल में आ जाती है।

क्या होती है आचार संहिता?

आपको बता दें कि देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए जो व्यवस्था चुनावी राज्यों में लागू की जाती है, उसे आचार संहिता कहते हैं। ये व्सवस्था चुनाव की ओर से लागू की जाती है। आचार संहिता को लोकसभा और विधानसभा के चुनावों के दौरान लागू किया जाता है। इस व्यवस्था के दौरान चुनाव आयोग के नियमों का राजनीतिक दल, नेता और स्थानीय सरकार को पालन करना होता है और अगर नियमों का उल्लंघन होता है तो चुनाव आयोग कार्रवाई करता है।

जानिये आचार संहिता के दौरान लागू होने वाले नियमों के बारे में

आचार संहिता के दौरान किसी भी राजनीतिक दल या फिर उसके उम्मीदवार को ऐसी गतिविधियों में शामिल नहीं होना चाहिए जो मौजूदा मतभेदों को बढ़ा सकती है या आपसी नफरत पैदा कर सकती है। इसके अलावा विभिन्न जातियों और समुदायों, धार्मिक या भाषाई तनाव पैदा करने वाली बयानबाजी पर रोक रहती है।

आचार संहिता के दौरान सार्वजनिक धन का इस्तेमाल कोई राजनीतिक दल या नेता नहीं कर सकता।

कोई नेता या उम्मीदवार वोट हासिल करने के लिए किसी जाति या धर्म के नाम पर वोट नहीं मांग सकता। मस्जिदों, गिरजाघरों, मंदिरों या अन्य पूजा स्थलों को चुनावी प्रचार के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।

सभी दलों और उम्मीदवारों को उन सभी गतिविधियों से बचना चाहिए जो “भ्रष्ट आचरण” और चुनाव कानून के तहत अपराधिक श्रेणी में आती हों, जैसे कि रिश्वत देना, मतदाताओं को डराना, मतदाताओं का प्रतिरूपण करना, मतदान केंद्रों के 100 मीटर के भीतर प्रचार करना, सार्वजनिक बैठकें करना।

कोई भी राजनीतिक दल या उम्मीदवार अपने या अपने सपोर्टरों को किसी व्यक्ति की भूमि, भवन, अहाते की दीवार आदि का उपयोग अपनी पार्टी के बैनर या पार्टी के झंडे को लगाने के लिए नहीं कर सकता। इसके अलावा नारा भी नहीं लिख सकता।

आचार संहिता के दौरान राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को यह सुनिश्चित करना होता है कि उनके समर्थक अन्य दलों द्वारा आयोजित सभाओं और जुलूसों में बाधा उत्पन्न न करें या उन्हें भंग न करें।

आचार संहिता के दौरान सरकारी गाड़ी, सरकारी विमान या सरकारी बंगले का इस्तेमाल प्रचार के लिए नहीं किया जा सकता।

आचार संहिता के दौरान राज्य में जिस पार्टी की सरकार है वो किसी भी तरह की सरकारी घोषणा, किसी परियोजना का लोकार्पण और शिलान्यास नहीं कर सकता।

पार्टी या उम्मीदवार किसी भी प्रस्तावित बैठक के स्थान और समय के बारे में स्थानीय पुलिस अधिकारियों को समय पर सूचित करेंगे ताकि पुलिस को यातायात को नियंत्रित करने और शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए आवश्यक व्यवस्था करने में सक्षम बनाया जा सके।

आचार संहिता के दौरान किसी प्रस्तावित बैठक के संबंध में लाउडस्पीकरों या किसी अन्य सुविधा के उपयोग के लिए अनुमति या लाइसेंस प्राप्त करना होता है।

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