15 करोड़ बच्चे कुपोषण के हुए शिकार, सामान्य शारीरिक विकास के लिए नहीं मिली पर्याप्त कैलोरी

नई दिल्ली, नए शोध के अनुसार अशिक्षा और गरीबी की वजह से माताओं और बच्चों के भोजन में आवश्यक पोषक तत्वों की कमी के कारण दुनियाभर में करोड़ों बच्चे कुपोषण के शिकंजे में हैं। कुपोषण की वजह से बच्चे कई प्रकार के रोग जैसे एनीमिया, घेंघा और हड्डियां कमजोर होने का शिकार हो रहे हैं।

इसके अलावा पारिवारिक खाद्य असुरक्षा, स्वच्छता में कमी,जागरूकता के अभाव और स्वास्थ्य सेवाओं की अनुपलब्धता के कारण यह समस्या और गहराती जा रही है। ग्लोबल साउथ के एक अध्ययन में बताया गया है कि कुपोषण बच्चों के जन्म के बाद दो वर्षों में शरीर के विकास को गंभीर रूप से प्रभावित करता है।

विशेष रूप से एशिया में करोड़ों बच्चों के लिए यह एक विनाशकारी वास्तविकता को उजागर करता है। ग्लोबल साउथ यानी उत्तर-दक्षिण विभाजन से आशय विश्व के देशों में सामाजिक-आर्थिक तथा राजनैतिक दृष्टि से बहुत बड़ा अंतर होने से है। सामान्यतः उत्तर के अन्तर्गत यूएसए, कनाडा, यूरोप, एशिया के विकसित देश सहित आस्ट्रेलिया और न्यूजीलैण्ड आते हैं। विश्व का शेष भूभाग दक्षिण (ग्लोबल साउथ) कहलाता है। शोधकर्ताओं ने नेचर पत्रिका में प्रकाशित इस शोध में अब तक का सबसे व्यापक विश्लेषण प्रस्तुत किया है।

शोध में कहा गया है कि वर्ष 2022 में दुनिया भर में हर पांच में से एक से अधिक, लगभग 15 करोड़ बच्चों को सामान्य रूप से शारीरिक विकास के लिए पर्याप्त कैलोरी नहीं मिली। 4.5 करोड़ से अधिक बच्चों में कमजोरी के लक्षण दिखे या उनकी लंबाई के अनुसार उनका वजन बहुत कम था। हर साल 10 लाख से अधिक बच्चे कमजोरी के कारण मौत के मुंह में चले जाते हैं और ढाई लाख से अधिक बच्चे बौनेपन के कारण मरते हैं। जिन लोगों ने बचपन में बौनेपन और कमजोरी का अनुभव किया है उन्हें भी जीवन में आगे याददाश्त की कमी हो जाती है।

इस तरह किया अध्ययन
शोध विश्लेषण में यूसी बर्कले के नेतृत्व में 100 से अधिक शोधकर्ताओं की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने 1987 से 2014 के बीच हुए 33 प्रमुख अध्ययनों से दो साल से कम उम्र के लगभग 84,000 बच्चों के आंकड़ों की जांच की। यह समूह दक्षिण एशिया, उप सहारा, अफ्रीका और लैटिन अमेरिका के 15 देशों से थे। शोध अनुमानों के अनुसार कुपोषण के प्रभाव कम संसाधनों वाले परिवेश में बहुत ज्यादा देखे गए, लेकिन इसका बोझ दक्षिण एशिया में सबसे अधिक है। यहां 20 प्रतिशत बच्चे जन्म के समय अविकसित रह गए।

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