नई दिल्ली, राज्यसभा के 12 सांसदों को आज अनुशासनहीनता के आरोप में सदन से निलंबित कर दिया गया. इन 12 सांसदों के खिलाफ पिछले सत्र में अनुशासनहीनता का आरोप लगा था, जिसके बाद आज इनपर कार्रवाई की गयी.
इन 12 सांसदों के खिलाफ पिछले सत्र में अनुशासनहीनता का आरोप लगा था, जिसके बाद आज इनपर कार्रवाई की गयी. सभी 12 सांसद शीतकालीन सत्र में भाग नहीं ले पायेंगे.
राज्यसभा से जिन सांसदों को निलंबित किया गया है उनमें सीपीएम, कांग्रेस, टीएमसी और शिवसेना के नेता शामिल हैं. जिन सांसदों को निलंबित किया गया है उनके नाम हैं- एलाराम करीम ( सीपीएम) फूलो देवी नेताम, छाया वर्मा, आर बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन , अखिलेश प्रसाद सिंह (कांग्रेस) बिनॉय विश्वम ( सीपीआई) डोला सेन और शांता छेत्री (टीएमसी) प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई (शिवसेना).
गौरतलब है कि संसद के मानसून सत्र के दौरान वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण जब इंश्योरेंस अमेंडमेंट बिल पेश कर रहीं थीं, तो उस वक्त विपक्ष ने जमकर हंगामा किया और बिल की प्रतियां तक फाड़कर फेंक दी थी. इस दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच जमकर बहस हुई थी और स्थिति हाथापाई तक पहुंच गयी थी. विपक्ष का यह आरोप था कि मार्शल की भेष में लोगों को बुलाकर सत्ता पक्ष के लोगों ने महिला सांसदों के साथ मारपीट की. जबकि सत्ता पक्ष ने विपक्ष के रवैये को शर्मनाक बताते हुए इसे लोकतंत्र की हत्या करने वाला बताया था.
संसद के शीतकालीन सत्र से निलंबित किये जाने के बाद शिवसेना की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि डिस्ट्रिक्ट कोर्ट से सुप्रीम कोर्ट तक भी आरोपी की बात सुनी जाती है. उनके लिए वकील की व्यवस्था भी की जाती है. कई बार सरकारी अधिकारी भी उनका बयान दर्ज करने जाते हैं. लेकिन हमारा पक्ष नहीं सुना गया.
प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि आप सीसीटीवी फुटेज देखें आपको पता चलेगा कि किस तरह पुरुष मार्शल महिला सासंदों को धकेल रहे थे. इन सारी बातों को दरकिनार कर 12 सांसदों को निलंबित कर दिया गया है. मैं यह पूछना चाहती हूं कि यह किस तरह का अलोकतांत्रिक रवैया है.