नई दिल्ली, वायु प्रदूषण की वजह से हृदय संबंधी बीमारियों में भारी वृद्धि हुई है। हवा, मिट्टी और पानी में मिले केमिकल अरबों लोगों के स्वास्थ्य को खतरे में डाल रहे हैं। प्रदूषकों में भारी धातुएं और माइक्रोप्लास्टिक सूजन, ऑक्सीडेटिव तनाव और एंडोथेलियल डिसफंक्शन, खून की नसों और हृदय की आंतरिक दीवार के ऊतकों के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं।
एक अनुमान के अनुसार वायु प्रदूषण के कारण दिल की बीमारियों से 45 लाख लोगों की समय से पहले मौत हो रही है।
नेचर रिव्यू कार्डियोलॉजी में प्रकाशित अध्ययन में हृदय रोग विशेषज्ञों द्वारा अक्सर कम करके आंके जाने वाले इन खतरों का प्रमुखता से उल्लेख किया गया है। शोधकर्ताओं का कहना है कि ये प्रदूषक मनुष्य के जैविक घड़ी को प्रभावित करते हैं और खून की नसों की परत को बदलते हैं जिससे हृदय रोग और गंभीर हो जाता है। प्रदूषण के कारण हर साल 90 लाख अकाल मौतें होती हैं, इनमें से आधी हृदय संबंधी बीमारियों के कारण होती हैं। दुनिया भर में होने वाली मौतों का यह 16 फीसदी है। सहारा की धूल सहित वायुमंडल में जारी कण भी इसके लिए जिम्मेदार हैं, जो हृदय संबंधी बीमारियों से संबंधित 7,70,000 वार्षिक मौतों का कारण बनते हैं। जबकि जल प्रदूषण दुनिया भर की आबादी के 25 फीसदी पर असर डाला है। इसके अलावा मिट्टी के क्षरण की वजह से दुनिया की 40 फीसदी आबादी के स्वास्थ्य को खतरा है।
13 लाख लोगों के चिकित्सीय आंकड़ों का विश्लेषण
शोधकर्ताओं ने 2015 से 2020 के बीच 318 चीनी शहरों में 2,239 अस्पतालों में दिल के दौरे और अस्थिर एनजाइना के लिए इलाज किए गए लगभग 13 लाख लोगों के चिकित्सीय आंकड़ों का विश्लेषण किया। सूक्ष्म कण पदार्थ, नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड के किसी भी स्तर के कम अवधि के खतरे के लिए सभी प्रकार के तीव्र कोरोनरी सिंड्रोम की शुरुआत से जुड़े पाए गए। जैसे-जैसे प्रदूषकों का स्तर बढ़ता गया वैसे वैसे दिल के दौरे का खतरा भी बढ़ता गया।
एक घंटे के भीतर पड़ सकता है दिल का दौरा
एक अन्य अध्ययन के अनुसार विश्व स्वास्थ्य संगठन के वायु गुणवत्ता दिशा-निर्देशों के अनुरूप नीचे के स्तर पर भी वायु प्रदूषकों के संपर्क में आने के एक घंटे के भीतर दिल का दौरा पड़ सकता है। इसका खतरा ठंडे मौसम के दौरान वृद्ध लोगों में सबसे अधिक देखा। चार सामान्य वायु प्रदूषकों के किसी भी स्तर के संपर्क में आने से तीव्र कोरोनरी सिंड्रोम (एसीएस) की शुरुआत जल्दी होती है। एसीएस एक ऐसी स्थिति है जिसमें हृदय की मांसपेशियों में रक्त की आपूर्ति अवरुद्ध हो जाती है। जैसे कि दिल का दौरा या अस्थिर एनजाइना, रक्त के थक्कों के कारण सीने में दर्द जो अस्थायी रूप से धमनी को अवरुद्ध करता है। सबसे अधिक खतरा प्रदूषण के सम्पर्क में आने के पहले घंटे के भीतर हुआ और जो आगे चलकर धीरे-धीरे कम हो गया।
पर्यावरणीय कारणों पर विचार की जरूरत
शोधकर्ता हृदय रोग की रोकथाम में इन पर्यावरणीय कारणों पर विचार करने की आवश्यकता पर जोर देते हैं। बेहतर वायु गुणवत्ता प्रबंधन,कीटनाशकों के उपयोग को कम करना और पानी को छानने से इन खतरों को कम किया जा सकता है। ये उपाय लंबे समय तक अपनाए जाने चाहिए। प्रदूषण को कम करने और सार्वजनिक स्वास्थ्य की रक्षा करने के उद्देश्य से इन्हें दुनिया भर में लागू किया जाना चाहिए।